13 अप्रैल 2020: बैसाखी पर्व के साथ-साथ जलियावाला बाग हत्याकांड को 99 साल पूरे

आज के ही दिन पंजाबी नए साल की शुरुआत होती है. इसके साथ ही इस दिन को मौसम बदलने का प्रतीक भी माना जाता है

author-image
Aditi Sharma
एडिट
New Update
89 baisakhi 3

बैसाखी( Photo Credit : फाइल फोटो)

आज यानी 13 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार मनाया जा रहा है. ये त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है. यह असम में बिहु, बंगाल में नबा वर्षा और केरल में पूरम विशु नाम से जाना जाता है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक इस दिन को सौर नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और भगवान औप प्रकृति धन्यवाद हैं. इसे किसानों का त्यौहार भी कहते हैं. इस महीने खरीफ की फसल पूरी तरह से पक जाती है और इसे काटने की तैयारी शुरू हो जाती है. इस खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है.

Advertisment

आज के ही दिन पंजाबी नए साल की शुरुआत होती है. इसके साथ ही इस दिन को मौसम बदलने का प्रतीक भी माना जाता है. अप्रैल के महीने में सर्दी पूरी तरह से खत्म हो जाती है और गर्मियां शुरू होती हैं. बैसाखी को इसलिए भी मनाया जाता है, क्योंकि 13 अप्रैल 1699 को सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी.

यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस से मरने वालों का केवल दाह संस्‍कार ही होगा, मुस्‍लिम समुदाय में नाराजगी

इस त्योहार को क्यों कहा जाता है बैसाखी?

दरअसल बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है. विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने की वजह से इसे बैसाखी कहते हैं. वैशाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है.

यह भी पढ़ें: जो स्थिति आती है उसका जाना भी निश्चित, देशवासी धैर्य रखें : जगतगुरु शंकराचार्य

आज जलियावाला बाग हत्याकांड को 99 साल पूरे

13 अप्रैल की तारीख इसलिए भी खास है क्योंकि आज ही के दिन जलियावाला बाग हत्याकांड को 99 साल पूरे हो गए हैं. आज ही के दिन यानी बैसाखी के पर्व पर जर्नल रेजीनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर ने ब्रिटिश सैनिकों के साथ वहां पहुंचकर पंजाबी नववर्ष के मौके पर शांतिपूर्ण इकट्ठे हुए लोगों पर गोलीबारी कर दी थी. स्वर्ण मंदिर के पास स्थित परिसर में नरसंहार से भारतीय आजादी के आंदोलन की चिंगारी को हवा लगी थी. कमजोर हो चुकीं अपनी आखों से परिसर के पुनर्निर्माण को देखते हुए एक वृद्ध मदन लाल तनेजा ने कहा, "हमने इस कुएं में अपने कई अपनों को खोया है. वे अपनी जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि देश की गरिमा बचाने के लिए इस कुएं में कूद गए थे."

Baisakhi 13 april Baisakhi 2020 jallianwala bagh
      
Advertisment