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18 मई को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट, महाशिवरात्रि पर तय होगी केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख

Badrinath Kapat Opening Date 2021: वसंत पंचमी के मौके पर उत्तराखंड में स्थित विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खबर आई है.

Updated on: 16 Feb 2021, 03:06 PM

नई दिल्ली:

Badrinath Kapat Opening Date 2021: वसंत पंचमी के मौके पर उत्तराखंड में स्थित विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खबर आई है. चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट इस बार श्रद्धालुओं के लिए 18 मई को खुलेंगे. कपाट खुलने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा (Chardham) आधिकारिक रूप से शुरू हो जाएगी. वसंत पंचमी पर नरेंद्रनगर स्थित टिहरी राजवंश के दरबार में आयोजित समारोह में बदरीनाथ मंदिर (Badrinath Dham) का कपाट खोले जाने का शुभ मुहूर्त निकाला गया. चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सूत्रों की ओर से जानकारी दी गई कि भगवान विष्णु को समर्पित बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में सवा चार बजे खुल जाएंगे. पिछले साल 19 नवंबर को शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए गए थे. हर साल सर्दियों के मौसम में अक्टूबर-नवंबर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाते हैं और गर्मियों के मौसम में शुभ मुहूर्त में खोले जाते हैं. बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की तिथि का खुलासा होने के बाद जल्‍द ही श्री केदारनाथ और यमुनोत्री-गंगोत्री धाम के कपाट खोलने की तिथि घोषित की जा सकती है.

दूसरी ओर, महाशिवरात्रि के दिन 11 मार्च को केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख को लेकर घोषणा की जा सकती है. गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर साल अक्षय तृतीया पर खुलते हैं. इस साल अक्षय तृतीया 14 मई को पड़ रही है. 

कपाट बंद होने पर मुनि नारद करते हैं बद्रीनाथ की पूजा
माना जाता है कि शीतकाल में नारद मुनि बद्रीनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. कपाट खुलने के बाद यहां नर यानी रावल पूजा करने जाते हैं. यहां लीलाढुंगी नाम की एक जगह पर नारदजी का मंदिर है. कपाट बंद होने के बाद बदरीनाथ में पूजा की जिम्‍मेदारी मुनि नारद की होती है. रावल ईश्वरप्रदास नंबूदरी 2014 से बद्रीनाथ के रावल हैं. बदरीनाथ का कपाट बंद होने के बाद वे अपने गांव केरल के राघवपुरम पहुंच जाते हैं. आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा तय की गई व्यवस्था के हिसाब से ही रावल की नियुक्‍ति होती है. केरल के राघवपुरम गांव में नंबूदरी संप्रदाय के लोग रहते हैं, जहां से रावल नियुक्त होते हैं. रावल आजीवन ब्रह्मचारी होते हैं. 

तिल के तेल से होता है बद्रीनाथ का अभिषेक
नृसिंह मंदिर जोशीमठ और योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में पूजा अर्चना के बाद 16 फरवरी यानी वसंत पंचमी के दिन गाडू घड़ा (तेल कलश) राजदरबार को सौंपा गया. बदरीनाथ के कपाट खुलने पर इसी घड़े में तिल का तेल भरकर डिमरी पुजारी बदरीनाथ पहुंचते हैं और इसी तेल से भगवान का अभिषेक किया जाता है.

बदरीनाथ मंदिर से जुड़ी खास बातें
माना जाता है कि भगवान विष्णुजी ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी. तब महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी. भगवान विष्‍णु लक्ष्मीजी के इस सर्मपण से काफी प्रसन्‍न हुए और इस जगह को बदरीनाथ धाम से प्रसिद्ध होने का वर दिया था. यह भी कहा जाता है कि महाभारत काल में श्रीकृष्ण और अर्जुन के रूप में नर-नारायण ने अवतार लिया था. यहां श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्ध बद्री, श्री आदि बद्री इन सभी रूपों में भगवान बदरीनाथ निवास करते हैं. 

बदरीनाथ मंदिर कैसे पहुंचें
ऋषिकेश बदरीनाथ मंदिर का सबसे करीब रेलवे स्‍टेशन है और 297 किमी दूर स्थित है. बदरीनाथ धाम जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून में है. यह एयरपोर्ट बदरीनाथ से 314 किमी दूर है. इन दोनों जगहों से ऋषिकेश और देहरादून आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा निजी वाहन से भी यहां पहुंचा जा सकता है.