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Shri Ram Janm Katha: कब और कैसे हुआ था मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म, पढ़ें पौराणिक कथा

Shri Ram Janm Katha: आइए इस लेख के जरिए आज हम आपको बताएंगे श्री राम की जन्म कथा के बारे में जिनसे लोग अंजान हैं.

Updated on: 27 Dec 2023, 08:30 AM

नई दिल्ली:

Shri Ram Janm Katha:  भगवान विष्णु का 7वां अवतार माने जाने वाले प्रभु श्री राम अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े बेटे थे. यूं तो हम से अधिकतर लोगों ने टीवी पर रामायण जरूर देखी होगी. लेकिन फिर भी रामायण से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं जिनके बारे शायद ही लोग जानते होंगे. इन्हीं में से एक हैं भगवान राम की जन्म कथा के बारे में. आइए इस लेख के जरिए आज हम आपको बताएंगे श्री राम की जन्म कथा के बारे में जिनसे लोग अंजान हैं. 

भगवान राम की जन्म कथा

कई हजारों साल पहले पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या में दशरथ नाम के एक राजा राज्य करते थे. राजा दशरथ से उसकी प्रजा बहुत प्यार करती थी. उनकी तीन पत्नियां कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं. तीन पत्नियां होने के बाद भी उन्हें इस बात का दुख था कि उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण वह हमेशा चिंतित और दुखी रहते थे. एक दिन राजा ने अपने पुरोहित वशिष्ठ को बुलाया और अपना दुःख बताया. उनके दुख को सुनकर वशिष्ठ ने कहा कि जल्द ही आपके चार बेटे होंगे.

जब अयोध्या शहर में हुआ यज्ञ 

वशिष्ठ ने राजा दशरथ को राजा रोमपाद के दामाद ऋष्यश्रृंग के मार्गदर्शन में अश्वमेघ यज्ञ करने की सलाह दी. इसके बाद दशरथ और उनके मंत्रियों ने यज्ञ के लिए सभी तैयारियां शुरू कर दीं और अयोध्या शहर को भव्य रूप से सजाया गया. इस यज्ञ में समस्त मनस्वी, तपस्वी, विद्वान ऋषि-मुनियों तथा वेदविज्ञ प्रकाण्ड पण्डितों को बुलाया गया. राजा चाहते थे कि सभी यज्ञ में शामिल हों. यज्ञ का समय आने पर विधिवत यज्ञ शुभारंभ किया गया. फिर यज्ञ खत्म होने के बाद समस्त पण्डितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को यथोचित धन-धान्य, गौ आदि भेंट दी गई हैं और उन्हें सादर विदा किया गया. यज्ञ के प्रसाद में बनी खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों को खाने के लिए दी. प्रसाद ग्रहण करने के परिणामस्वरूप राजा की सभी पत्नियां गर्भवती हो गईं. 

कब हुआ प्रभु राम का जन्म

यज्ञ के बारह महीनों के बाद और चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन राजा दशरश की बड़ी रानी कौशल्या ने एक पुत्र को जन्म दिया जो बेहद ही कान्तिवान, नील वर्ण और तेजोमय था. जिसे बाद में सभी दिव्य गुणों से युक्त राम नाम दिया गया. राजा दशरथ अपने बड़े पुत्र के जन्म से बहुत प्रसन्न और प्रसन्न थे. यह खबर पूरे शहर में फैल गई और सभी लोग अपने भावी राजा राम के आगमन का जश्न मनाने लगे. राजा ने खुशी-खुशी अपनी प्रजा को उपहार बांटें. इसके बाद शुभ नक्षत्रों में रानी कैकेयी ने भरत को और रानी सुमित्रा ने जुड़वां बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)