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राम नगरी अयोध्या में बनेंगे 6 द्वार, हर मार्ग की होगी खास विशेषता

राम मंदिर के साथ-साथ राम नगरी अयोध्या (Ayodhya) का भी पुनर्निर्माण किया जा रहा है. राम नगरी की इसकी रूपरेखा ऐसी तैयार की गई है कि यहां पर आने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाएंगे. राम नगरी में प्रवेश के लिए भव्य प्रवेश द्वार भी बनाए जाएंगे. 

Updated on: 16 Jun 2021, 04:03 PM

highlights

  • अयोध्या का भी नवनिर्माण किया जा रहा है
  • राम नगरी में प्रवेश के लिए 6 द्वार बनाए जा रहे हैं
  • सभी द्वारों के पास रामायण वाटिका बनाई जाएगी

नई दिल्ली:

यूपी की अयोध्या (Ayodhya) में भव्य और दिव्य राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण का कार्य बड़ी तेजी के साथ जारी है. पिछले साल 5 अगस्त को पीएम मोदी के हाथों राम मंदिर (Ram Mandir) की नींव की स्थापना की गई थी. जिसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया था. राम मंदिर के साथ-साथ राम नगरी अयोध्या (Ayodhya) का भी पुनर्निर्माण किया जा रहा है. राम नगरी की इसकी रूपरेखा ऐसी तैयार की गई है कि यहां पर आने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाएंगे. अयोध्या को भव्य धार्मिक रूप देने के लिए इसके सभी प्रवेश बिंदुओं पर बागों से घिरे ‘राम द्वार’ (Ram Dwar) कहे जाने वाले भव्य प्रवेश द्वार भी बनाए जाएंगे. 

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सभी 6 ‘द्वारों’ के किनारे एक वाटिका तैयार की जाएगी. इन बागों को ‘रामायण वाटिका’ कहा जाएगा. अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने बताया कि अयोध्या में छह प्रवेश द्वार हैं. अयोध्या शहर को भव्य धार्मिक रूप देने के लिए सभी प्रवेश बिंदुओं पर भव्य द्वार या राम द्वार बनाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि यह पहल पवित्र शहर को एक छोटे से शहर से एक नए शहर में बदलने की योजना का एक हिस्सा है, जो आधुनिक सुविधाओं से लैस और संस्कृति के अनुकूल हैं. 

ऐसी होगी राम नगरी

अथर्व वेद में वर्णित 9 द्वार वाली अयोध्या के स्वरूप को रामनगरी के पुनर्निमाण में भी प्रमुखता से स्थान देने की कोशिश चल रही है. अभी 9 द्वारों में 6 द्वारों के निर्माण की रूपरेखा तैयार कर ली गई है. रामनगरी के पुनर्निमाण को लेकर संतों की राय पर इसे साकार करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. विजन डॉक्यूमेंट में इस परिकल्पना को स्थान मिला है. इन प्रवेश द्वार की डिजाइन सिक्स लेन, फोर लेन तथा टू लेन सड़कों को ध्यान में रखकर की जा रही है. एक प्रवेश द्वार की अनुमानित लागत 10 से 15 करोड़ रुपये आने की संभावना है.

इन स्थानों पर बनेंगी धर्मशाला

  • लखनऊ मार्ग पर मुमताजनगर और घाटमपुर के बीच 600 कमरों की धर्मशाला बनाई जाएगी.
  • रायबरेली मार्ग पर मऊ यदुवंशपुर में 200 कमरों की धर्मशाला का निर्माण किया जाएगा.
  • प्रयागराज मार्ग पर मैनुद्दीनपुर में 200 कमरों की धर्मशाला का निर्माण होगा.
  • आजमगढ़ मार्ग पर दशरथ समाधि स्थल के पास श्रद्धालुओं के रुकने के लिए 250 कमरे बनाए जाएंगे.
  • गोंडा मार्ग पर कटरा के पास 370 कमरों की धर्मशाला बनाई जाएगी.
  • गोरखपुर मार्ग पर धर्मशाला के लिए अभी स्थल चयन की प्रक्रिया जारी है.

राम नगरी में प्रवेश द्वारों के नाम

  1. श्रीराम द्वार - लखनऊ मार्ग पर
  2. लक्ष्मण द्वार - गोंडा द्वार पर
  3. भरत द्वार - प्रयागराज मार्ग पर
  4. जटायु द्वार - वाराणसी मार्ग पर
  5. गरुड़ द्वार - रायबरेली मार्ग पर
  6. हनुमान द्वार - गोरखपुर मार्ग पर

श्रीराम द्वार - राम नगरी में प्रवेश करने के लिए निर्मित किए जाने वाले 6 द्वारों में से एक प्रवेश द्वार भगवान राम के नाम पर ही होगा इसका नाम होगा श्रीराम द्वार. श्रीराम द्वार लखनऊ को अयोध्‍या से जोड़ने का काम करेगा. वे पर्यटक जो लखनऊ की सैर करने आएंगे वह आसानी से सड़क मार्ग से जाकर श्रीराम की नगरी अयोध्‍या में दर्शन कर सकते हैं.

लक्ष्मण द्वार - भगवान राम के हमेशा साथ रहने वाले छोटे भइया लक्ष्मण जी के नाम पर भी एक द्वार का निर्माण किया जाएगा. इस द्वार का निर्माण गोंडा की तरफ किया जाएगा. मतलब गोंडा से आने वाले श्रद्धालुओं को लक्ष्मण द्वार से रामनगरी में प्रवेश मिलेगा. गोंडा का बड़ा प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व भी है. गोंडा के बारे में ऐसा माना जाता है कि यहां त्रेतायुग में अयोध्‍या से गौवंश चरने आया करते थे. मान्‍यता है कि यहां पर भगवान विष्‍णु के वाराह अवतार का भी प्राकट्य हुआ था.

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भरत द्वार - प्रभु श्रीराम के अनुज और कैकयी के पुत्र भरत के नाम पर इस द्वार का नाम भरत द्वार रखा जाएगा और यह द्वार संगम नगरी प्रयागराज को अयोध्या से जोड़ने का काम करेगा. तीर्थ राज प्रयाग ये पर्यटक सीधे सड़क मार्ग से अयोध्‍या पहुंचकर रामलला के दर्शन का पुण्‍य पा सकेंगे. रामायण के अनुसार महाराज दशरथ की दूसरी पत्नी कैकयी ने भरत को ही राजा बनाने का वर मांगा था, और श्रीराम के लिए 14 वर्षों का वनवास मांगा था. लेकिन भइया भरत ने राजगद्दी को ठुकरा दिया था. और श्रीराम की तरह ही 14 वर्षों तक वनवासी का जीवन यापन किया था. रामायण में भरत के भ्रातप्रेम की विशेष वर्णन किया गया है. 

जटायु द्वार - अयोध्या में प्रवेश के लिए चौथे द्वार का नाम जटायु द्वार होगा. ये द्वार राम नगरी को बाबा विश्वनाथ की नगरी यानी वाराणसी से जोड़ने का कार्य करेगा. काशी से आने वाले रामभक्तों को इसी द्वार से प्रवेश करना होगा. रामायण में जटायु ने प्रभु श्रीराम की उस वक्त मदद की थी. जब वे सीता को खोज रहे थे. जटायु ने माता सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध भी किया था, जिसमें रावण ने बड़ी निर्दयता से उसके पंखों को काट दिया था. प्रभु श्रीराम को रावण की जानकारी देकर जटायु ने अपने प्राण त्याग दिए थे. 

हनुमान द्वार - अयोध्या को गोरखपुर से जोड़ने का काम करेगा हनुमान द्वार. अयोध्‍या का राजा भगवान राम को माना जाता है तो अयोध्‍या के रक्षक आज भी हनुमानजी ही कहलाते हैं. यहां पर हनुमानजी का मंदिर हनुमानगढ़ी विश्‍व भर में विख्‍यात है. यहां हनुमानजी की प्रतिमा बाल रूप में विराजमान है. रामायण में हनुमान जी ने ही सबसे पहले लंका जाकर माता सीता का पता लगाया था. इतना ही नहीं युद्ध में जब भइया लक्ष्मण मेघनाथ के हाथों घायल हो जाते हैं तो हनुमान जी ने संजीवनी लाकर उनके प्राण बचाए थे. श्रीराम जी को हनुमान जी काफी प्रिय हैं. रामभक्तों में हनुमान जी का नाम सबसे पहले लिया जाता है. धर्मग्रंथों के अनुसार हनुमान जी को अजर-अमर का वरदान है और वे आज भी जीवित हैं. 

गरुड़ द्वार - अयोध्या में प्रवेश करने वाले 6 द्वारों में एक गरुड़ द्वार भी है. ये द्वार रायबरेली मार्ग पर बनाया जाएगा. गरुड़ पक्षी को भगवान विष्णु का वाहन कहा जाता है. रामायण में भी गरुड़ जी का वर्णन है. भगवान राम और भइया लक्ष्मण को जब मेघनाथ ने नागपाश में बांध दिया था. तो हनुमान जी गरुड़ जी को ही लेकर आए थे. गरुड़ जी ने ही भगवान को नागपाश के बंधन से मुक्त किया था. इस तरह से राम-रावण युद्ध में गरुड़ ने भगवान की सहायता की थी.