इस जगह दिन में होती है कव्वाली तो रात में होता है भजन, हिंदू-मुस्लिम दोनों साथ टेकते हैं माथा .

चूरू की यह दरगाह और मंदिर एक ही जगह पर स्थित हैं और इनकी सबसे खास बात यह है कि दोनों की देखभाल और पूजा-अर्चना एक हिंदू परिवार द्वारा की जाती है.

चूरू की यह दरगाह और मंदिर एक ही जगह पर स्थित हैं और इनकी सबसे खास बात यह है कि दोनों की देखभाल और पूजा-अर्चना एक हिंदू परिवार द्वारा की जाती है.

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Sushma Pandey
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मही पीर की दरगाह और अणमानाथ जी का थान

भारत की विविधता में एकता की झलक हमें हर राज्य और हर गांव में देखने को मिलती है.  इस अनूठी विशेषता का एक जीता-जागता उदाहरण है राजस्थान के चूरू जिले में स्थित मही पीर की दरगाह और अणमानाथ जी का थान.  यह स्थान ना केवल धार्मिक, बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव और एकता का प्रतीक भी है. यहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग साथ-साथ आकर अपने-अपने तरीके से इबादत और पूजा करते हैं.  इस अनोखी परंपरा ने इस स्थान को एक ऐसी जगह बना दिया है, जहां धर्म की सीमाओं को लांघकर लोग एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करते हैं. 

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चूरू की यह दरगाह और मंदिर एक ही जगह पर स्थित हैं और इनकी सबसे खास बात यह है कि दोनों की देखभाल और पूजा-अर्चना एक हिंदू परिवार द्वारा की जाती है.  केशरदेव राठी और उनका परिवार न केवल दरगाह की देखरेख करता है, बल्कि मंदिर की पूजा भी करता है. यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है और इसे देखकर कोई भी समझ सकता है कि यहां के लोगों में कितनी गहरी सांप्रदायिक सद्भावना है. 

2001 में हुई थी स्थापना

मही पीर की दरगाह और अणमानाथ जी के थान की स्थापना साल 2001 में हुई थी.  यह दरगाह दिल्ली के निजामुद्दीन औलिया के शिष्य मही पीर बाबा की मजार है.  मही पीर बाबा के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत पहले दिल्ली से राजस्थान के झुंझुनू जिले के दुड़ाना गांव में आए थे. उनके साथ उनके शिष्य भी आए और वहां मही पीर की मजार स्थापित की गई.  उस गांव में अणमानाथ बाबा भी रहते थे, जिनकी आस्था दोनों धर्मों में समान रूप से थी.  इसी आस्था के प्रतीक के रूप में चूरू में मही पीर की दरगाह और अणमानाथ जी का थान स्थापित किया गया. 

मही पीर की मजार और अणमानाथ जी के थान की देखरेख करने वाले केशरदेव राठी का कहना है कि यह सिलसिला काफी लंबे समय से चला आ रहा है और उनके परिवार की दोनों स्थलों में गहरी आस्था है.  इस स्थान पर आने वाले लोग न केवल मन्नतें मांगते हैं, बल्कि उन्हें पूरा होते भी देखते हैं.  इसलिए यहां हर धर्म के लोग श्रद्धा और विश्वास के साथ आते हैं. इस तरह, चूरू की मही पीर की दरगाह और अणमानाथ जी का थान हिंदू-मुस्लिम एकता का एक ऐसा प्रतीक है, जो देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता है. यह स्थान इस बात का प्रमाण है कि जब आस्था और विश्वास की बात आती है, तो धर्म की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं और इंसानियत की भावना ही सबसे ऊपर होती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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