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Chaitra Navratri 2022 Ashtami Muhurat and Kanya Pujan Vidhi: चैत्र नवरात्रि के दौरान 9 अप्रैल को मनाई जाएगी अष्टमी, जानें इस दिन का सही शुभ मुहूर्त और कन्या पूजन विधि

अष्टमी (chaitra navratri 2022 ashtami date) के दिन कन्या पूजन का खास महत्व बताया गया है. इस दिन 2 साल से 11 साल की बच्चियों की पूजा की जाती है. तो, चलिए ऐसे में आपको चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में बताते हैं.

Updated on: 06 Apr 2022, 02:41 PM

नई दिल्ली:

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) में कन्या पूजन (kanya pujan) का बहुत महत्व होता है. इस वक्त चैत्र नवरात्रि का पावन त्योहार चल रहा है. खास तौर से चैत्र नवरात्रि में अष्टमी तिथि का ज्यादा महत्व होता है. इस बार नवरात्र पूरे 9 दिनों के पड़ रहे हैं जिसकी वजह से इस बार अष्टमी 9 अप्रैल को मनाई (ashtami subh muhurt 2022) जाएगी. आपको बता दें, अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का खास महत्व बताया गया है. इस दिन 2 साल से 11 साल की बच्चियों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि अलग-अलग रूप की कन्याएं देवी के अलग-अलग स्वरूप को दर्शाती हैं. तो, चलिए ऐसे में आपको चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में बताते (ashtami date 2022) हैं. 

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अष्टमी कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है. इस बार अष्टमी तिथि 9 अप्रैल को पड़ रही है. इसे महाष्टमी भी करते हैं. अष्टमी तिथि (ashtami subh muhurt 2022) की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से हो रही है. इसके साथ ही अष्टमी तिथि का समापन 9 अप्रैल की देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा. इसके अलवा इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक है. सुकर्मा योग दिन में 11 बजकर 25 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक है. दिन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त (ashtami kanya pujan shubh muhurat) में कन्या पूजन किया जाता है. 

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कन्या पूजन की विधि 
शास्त्रों के मुताबिक कन्या पूजन (chaitra navratri 2022 kanya pujan) के लिए एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण दिया जाता है. कन्या को घर में पधारने पर उनके पैरों को धोना चाहिए. इसके बाद उन्हें उचित स्थान पर बैठाना चाहिए. फिर कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाना चाहिए. इसके बाद मां दुर्गा (kanya pujan vidhi) का ध्यान करके देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा या उपहार दें और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद (kanya pujan vidhi) लें.