Ashadh Month Skand Shashthi Vrat 2022 Puja Vidhi: इस विधि से रखा गया स्कन्द षष्ठी व्रत आपके पुत्र के जीवन में भर देगा खुशियों का अंबार, हर बीमारी का भी होगा खात्मा

Ashadh Month Skand Shashthi Vrat 2022 Puja Vidhi: स्कंद पुराण में स्कन्द षष्ठी व्रत का महत्व बताया गया है. इस व्रत को करने से संतान से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है. संतान का जीवन सुखमय होता है.

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Gaveshna Sharma
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इस विधि से रखा गया स्कंद षष्ठी व्रत बढ़ा सकता है आपके पुत्र की आयु ( Photo Credit : News Nation)

Ashadh Month Skand Shashthi Vrat 2022 Puja Vidhi: आषाढ़ माह की स्कन्द षष्ठी व्रत 04 जुलाई दिन सोमवार को है. हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी व्रत रखा जाता है. इस दिन स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि विधान से करते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि स्कन्द षष्ठी व्रत को संतान षष्ठी भी कहते हैं. स्कंद पुराण में स्कन्द षष्ठी व्रत का महत्व बताया गया है. इस व्रत को करने से संतान से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है. संतान का जीवन सुखमय होता है. इस व्रत को आप चैत्र, आश्विन और कार्तिक माह से प्रारंभ करते हैं, तो अच्छा माना जाता है. आइए जानते हैं स्कन्द षष्ठी व्रत की पूजा विधि के बारे में. 

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स्कन्द षष्ठी व्रत 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 04 जुलाई दिन सोमवार को शाम 06 बजकर 32 मिनट से हो रहा है. यह तिथि 05 जुलाई दिन मंगलवार को शाम 07 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी. शाम के समय में पूजा मुहूर्त 04 जुलाई को है, ऐसे में इस दिन ही व्रत किया जाएगा.

स्कन्द षष्ठी 2022 मुहूर्त
इस माह के स्कन्द षष्ठी व्रत के दिन सिद्धि योग और रवि योग बना रहा है. सिद्धि योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक है, वहीं रवि योग प्रात: 08 बजकर 44 मिनट से अगले दिन 05 जुलाई को प्रात: 05 बजकर 28 मिनट तक है. रवि योग और सिद्धि योग मांगलिक कार्यों के लिए अच्छे होते हैं. सिद्धि योग कार्यों में सफलता की संभावनाओं को बढ़ाने वाला है. इस दिन का राहुकाल सुबह 07 बजकर 12 मिनट से सुबह 08 बजकर 57 मिनट तक है. राहुकाल में मांगलिक कार्य न करें.

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स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि
- सुबह स्नान-ध्यान करें और देवों के सेनापति कार्तिकेय का स्मरण करें.
- पास के मंदिर में जाकर भगवान शिव और उनके समस्त परिवार की पूजा करें. 
- फल, फूल, अक्षत, रोली इयादी पूजा सामग्री लेकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. 
- फल, मिठाई का भोग लगाएं और सामर्थ्य अनुसार दान करें. 

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