Chaumasi Chaudas 2024: आज है आषाढ़ चौमासी चौदस, जानें हिंदू और जैन धर्म में इसका महत्व 

Chaumasi Chaudas 2024: इसे चौमासी पर्व के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह चार महीनों के चातुर्मास (वर्षा ऋतु में ध्यान और साधना का समय) की शुरुआत को दर्शाता है.

Chaumasi Chaudas 2024: इसे चौमासी पर्व के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह चार महीनों के चातुर्मास (वर्षा ऋतु में ध्यान और साधना का समय) की शुरुआत को दर्शाता है.

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Inna Khosla
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Ashadh Chaumasi Chaudas 2024

Ashadh Chaumasi Chaudas 2024( Photo Credit : News Nation)

Chaumasi Chaudas 2024: आषाढ़ चौमासी चौदस, जिसे देवपंचमी और चतुर्मास आरंभ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. आज आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथी है जिसे आषाढ़ चौमासी चौदस भी कहा जाता है. यह माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने चतुर्मास की शुरुआत करते हुए शेषनाग पर शयन किया था. जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं इससे उनके पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह क्षमा का पर्व भी है. इस दिन सभी को एक-दूसरे से क्षमा मांगनी चाहिए और मन को शुद्ध करना चाहिए. इसके अलावा, आषाढ़ चौमासी चौदस, जिसे आषाढ़ी चौमासी चौदस भी कहा जाता है, जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है. यह पर्व जैन कैलेंडर के आषाढ़ महीने की चौदस (चतुर्दशी) को मनाया जाता है. इस समय, जैन साधु-साध्वियाँ एक स्थान पर ठहरकर तपस्या, अध्ययन, और आत्म-शुद्धि में लीन रहते हैं.

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जैन धर्म में इसका महत्व 

आषाढ़ चौमासी चौदस से चातुर्मास का आरंभ होता है, जो जैन धर्म में आध्यात्मिक साधना और तपस्या का विशेष समय होता है. इस अवधि में साधु-साध्वियाँ एक ही स्थान पर ठहरकर अपनी साधना करते हैं. इस दिन जैन अनुयायी उपवास, पूजा, और प्रार्थना करते हैं. यह समय आत्म-शुद्धि, मन की शांति, और आत्म-साक्षात्कार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. आषाढ़ चौमासी चौदस पर किए गए तप और ध्यान का विशेष महत्व है. यह समय आत्म-निरीक्षण, आत्म-शुद्धि, और धर्म पालन का है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है. जैन मंदिरों में सामूहिक पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है. जैन साधु-साध्वियाँ अपने प्रवचनों और धार्मिक उपदेशों से अनुयायियों को मार्गदर्शन देते हैं. आषाढ़ चौमासी चौदस जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो आत्म-शुद्धि, तपस्या, और धर्म पालन का प्रतीक है. यह समय आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-निरीक्षण के लिए उपयुक्त माना जाता है.

आषाढ़ चौमासी चौदस की व्रत कथा

एक बार देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु से नाराज होकर चली गईं. वे कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की तपस्या करने लगीं. भगवान विष्णु उन्हें वापस लाने के लिए कैलाश पर्वत गए. वहां उन्होंने भगवान शिव से देवी लक्ष्मी को वापस लाने का अनुरोध किया. भगवान शिव ने कहा कि यदि देवी लक्ष्मी स्वयं आपके साथ जाना चाहें तो ही वे जा सकती हैं.

इसके बाद भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को मनाने का प्रयास किया. उन्होंने देवी लक्ष्मी से कहा कि वे आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को व्रत रखने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी. देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की बातों से प्रसन्न हुईं और उन्होंने उनके साथ वापस वैकुंठ लौटने का फैसला किया. तभी से इस दिन को आषाढ़ चौमासी चौदस के रूप में मनाया जाता है.

आषाढ़ चौमासी चौदस के कुछ अन्य तथ्य भी हैं. इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की भी पूजा की जाती है. दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है. चतुर्मास के दौरान कई लोग व्रत रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग भी लेते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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