Annapurna Jayanti 2023: भगवान शिव ने क्यों धारण किया था भिखारी का रूप? जानें मां अन्नपूर्णा से जुड़ी कहानी

Annapurna Jayanti 2023: पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान शंकर ने भिक्षु का रूप धारण किया था. आइए जानते हैं क्या है इसकी पौराणिक कथा.

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Sushma Pandey
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Annapurna Jayanti 2023

Annapurna Jayanti 2023( Photo Credit : NEWS NATION)

Annapurna Jayanti 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, अन्नपूर्णा जयंती मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती आज यानी 26 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार को मनाई जा रही है. हिंदू धर्म में अन्नपूर्णा जयंती का बहुत महत्व है. कहा जाता है कि इसी शुभ दिन पर देवी पार्वती देवी अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट हुईं. देवी अन्नपूर्णा को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है. अन्नपूर्णा जयंती को पूरे भारत में अलग-अलग परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है. देवी अन्नपूर्णा को अन्न का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार  इसी दिन भगवान शंकर ने भिक्षु का रूप धारण किया था. आइए जानते हैं क्या है इसकी पौराणिक कथा. 

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जानें शिव जी को आखिर क्यों मांगनी पड़ी थी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती पासे का खेल खेल रहे थे. देवी पार्वती ने भगवान शिव द्वारा दांव पर लगाई गई हर चीज जीत ली, जिसमें उनका त्रिशूल, नाग और कटोरा भी शामिल था. जब खेल समाप्त हुआ तो भगवान शिव एक जंगल में गए जहां उनकी मुलाकात भगवान विष्णु से हुई जिन्होंने उन्हें फिर से खेल खेलने के लिए कहा. भगवान शिव अपने निवास पर वापस चले गए और भगवान विष्णु के वादे के अनुसार सब कुछ वापस जीत लिया. देवी पार्वती को संदेह हो गया क्योंकि उन्हें पता चला कि भगवान विष्णु ने भगवान शिव की मदद की थी और पासा उनकी इच्छा के अनुसार चला था. वह सिर्फ इस भ्रम में थी कि वे पासे का खेल खेल रहे हैं. 

देवी पार्वती को भगवान शिव ने बताया था कि भोजन सहित जीवन भी एक भ्रम है. देवी पार्वती क्रोधित हो गईं और कहा कि भोजन को माया कहना मेरी माया कहने के बराबर है. वह चाहती थी कि दुनिया उसके महत्व को जाने और इसलिए वह गायब हो गईं जिससे भूमि बंजर हो गई. मौसम में कोई बदलाव नहीं हुआ. भूमि में कुछ भी बदलाव हुआ और वह बंजर बनी रही. हर जगह सूखा पड़ा था. लोग भुखमरी का सामना करने लगें. देवी पार्वती लोगों को भूखा नहीं देख सकती थीं. इसलिए वह सभी को भोजन  करवाने के लिए काशी शहर में उतरीं. जब भगवान शिव को पता चला कि देवी वापस आ गई हैं तो वे हाथ में कटोरा लेकर उनसे भिक्षा मांगने गए. उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कहा कि आत्मा शरीर में रहती है और भूखे पेट किसी को मोक्ष नहीं मिल सकता. तब से देवी पार्वती को अन्नपूर्णा के रूप में पूजा जाता है. 

अन्नपूर्णा जयंती का महत्व

आपको बता दें कि अन्नपूर्णा दो शब्दों से मिलकर बना है एक 'अन्न' और दूसरा  'पूर्व'. 'अन्न' शब्द का अर्थ 'भोजन है जबकि 'पूर्व' का अर्थ 'संपूर्ण' है. हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार अन्नपूर्णा का खलिहान कभी खाली नहीं रहता. वह जीविका की देवी हैं. वह गरीबी को दूर करके और हमें भोजन प्रदान करके हमारे जीवन को परिपूर्ण और पूर्ण बनाती है.  इसलिए, देवी अन्नपूर्णा की पूजा करके आप सुखी और स्वस्थ जीवन पा सकते हैं. अगर भक्त इस दिन उनकी पूजा करेंगे तो भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलेगा.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

Source : News Nation Bureau

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