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अन्नपूर्णा जयंती पर मां पार्वती की करें अराधना, नहीं होगी अन्न की किल्लत 

Annapurna jayanti 2021: लोगों के कष्ट को हरने के लिए माता पार्वती ने अन्न की देवी अन्नपूर्णा का रूप धारण किया था. 

Annapurna jayanti 2021: लोगों के कष्ट को हरने के लिए माता पार्वती ने अन्न की देवी अन्नपूर्णा का रूप धारण किया था. 

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Mohit Saxena
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अन्नपूर्णा जयंती( Photo Credit : file photo)

Annapurna Jayanti 2021: प्रति वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि  के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है.अन्नपूर्णा जयंती माता पार्वती को समर्पित है. इस दिन लोग मां पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं.अन्नपूर्णा जयंती 19 दिसंबर को होनी है. मान्यता के अनुसार एक बार धरती पर अन्न की कमी के कारण प्राणी अन्न को तरसने लगे थे. उस दौरान लोगों के कष्ट को हरने के लिए माता पार्वती ने अन्न की देवी अन्नपूर्णा का रूप धारण किया और पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार इस दिन मां अन्नपूर्णा की सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करने से परिवार में कभी अन्न, जल और धन धान्य की किल्लत नहीं होती है. आइए जानते हैं इस दिन के महत्व और पूजा विधि के बारे में. 

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अन्नपूर्णा जयंती का महत्व 

अन्नपूर्णा जयंती को मनाने का मुख्य लक्ष्य लोगों को अन्न के महत्व को समझाना है. ऐसा कहा जाता है कि अन्न का कभी निरादर नहीं करना चाहिए और न ही अन्न की बर्बादी करनी चाहिए. मान्यता है कि अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई में सफाई करनी चाहिए.  इस दिन गैस, स्टोव और अन्न की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही, इस दिन अन्न का दान करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न का दान करना चाहिए. ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा काफी खुश होती हैं. ऐसा करने से परिवार  में हमेशा से बचत बनी रहती है. 

अन्नापूर्णा जयंती पूजा विधि

अन्नपूर्णा जयंती के दिन सूर्योदय होते ही स्नान करें और पूजा के स्थान और रसोई को अच्छी तरह से साफ कर लें. गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प आदि से रसोई के चूल्हे की पूजा करें. मां अन्नापूर्णा की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित कर सूत का धागा लेकर उसमें 17 गांठें लगाई जाती हैं। धागे पर चंदन और कुमकुम लगाकर मां अन्नपूर्णा की तस्वीर को सामने रखी जाती हैं। इसके बाद 10 दूर्वा और 10 अक्षत मां को चढ़ाएं. इसके बाद अन्नपूर्णा देवी की कथा पढ़ें. सूत के धागे को घर के पुरुषों के दाएं हाथ और वहीं महिलाएं बाएं हाथ की कलाई पर बांधें. पूजन के बाद गरीब और जरूरतमंदों को अन्न दान करना चाहिए।  

Source : News Nation Bureau

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