Amla Navmi 2022 :अक्षय नवमी के दिन करें ये छोटा सा काम, दूरी होंगी समस्याएं

हमारे धार्मिक ग्रंथों में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीना माना गया है. मान्यता है कि इसी महीने में भगवान विष्णु 4 मास की नींद के बाद जागे थे और तभी से मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. इस महीने में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा

हमारे धार्मिक ग्रंथों में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीना माना गया है. मान्यता है कि इसी महीने में भगवान विष्णु 4 मास की नींद के बाद जागे थे और तभी से मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. इस महीने में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा

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Aarya Pandey
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Amla Navami 2022

Amla Navmi 2022( Photo Credit : Social Media)

हमारे धार्मिक ग्रंथों में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीना माना गया है. मान्यता है कि इसी महीने में भगवान विष्णु 4 मास की नींद के बाद जागे थे और तभी से मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. इस महीने में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना भी की जाती है. हमारे हिंदू पंचांग में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है, अक्षय नवमी को आंवला नवमी के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी साबित होता है. आंवले के पेड़ की पूजा करने के बाद पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना बेहद शुभ माना जाता है. तो चलिए हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि आखिर आंवले के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है, पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब है, इस दिन का क्या महत्त्व है?

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कब है आंवला नवमी और क्या है शुभ मुहूर्त ?
धार्मिक पंचांग के मुताबिक, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाने वाली आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर को रात 11:05 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी की 2 नवंबर को 9:10 मिनट पर समाप्त होगा. इसलिए मान्यतानुसार आंवला तिथि 2 नवंबर को मनाई जाएगी.

आंवला नवमी क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर जब भ्रमण करने आई थी, तब उनको भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने का ख्याल आया, लेकिन एक साथ दोनों की पूजा करना मुश्किल था, क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है और शिव जी को बेलपत्र प्रिय है, तब मां लक्ष्मी को आंवला का पेड़ दिखाई दिया और तब उनको ख्याल आया कि आंवले के पेड़ में तुलसी और बेलपत्र दोनों के गुण हैं. तभी से उन्होंने आंवले के पेड़ की पूजा शुरू की, बता दें मां लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर भगवान शिव और भगवान विष्णु को भोजन करवाया और उन्होंने जिस दिन भोजन करवाया था, उस दिन नवमी तिथि थी. तभी से नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्ष्य नवमी के रूप में मनाया जाने लगा.

आंवला नवमी का महत्त्व क्या है?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आंवला पेड़ के मूल में भगवान विष्णु का वास होता है, ऊपरी भाग में ब्रह्माजी का वास होता है, पत्तों में वसु और फलों में प्रजापति वास करते हैं, इसलिए अक्षय नवमी या आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं और पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन में विवाह, संतान सुख, और दांपत्य जीवन में कोई संकट नहीं आता है.

HIGHLIGHTS

  • क्या है आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त?
  • क्यों मनाई जाती है आंवला नवमी?
  • आंवला नवमी का महत्त्व क्या है?

Source : News Nation Bureau

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