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एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है. वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी पर चावल खाना वर्जित होता है. वैदिक पंचांग के अनुसार आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. जिसमें अजा एकादशी का व्रत किया जाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एकादशी के दिन चावल का भोग लगाया जाता है और उसे भक्तों में बांटा भी जाता है.
उल्टी एकादशी
जगन्नाथ पुरी में एकादशी पर चावल खाए जाते हैं और वहीं इस मंदिर में एकादशी के दिन चावल को महाप्रसाद के रूप में दिया जाता है. जगन्नाथ पुरी में एकादशी को “उल्टी एकादशी” के रूप में मनाया जाता है, जिसका मतलब है कि इस दिन चावल और अन्य अनाज का सेवन किया जाता है.
पुरी धाम में एकादशी पर चावल खाने की यह परंपरा भगवान जगन्नाथ के महा प्रसाद से जुड़ी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्म देव जगन्नाथ जी का महा प्रसाद ग्रहण करने पुरी पहुंचे, लेकिन तब तक प्रसाद समाप्त हो गया था. प्रसाद में सिर्फ कुछ चावल के दाने बचे थे, जिन्हें एक कुत्ता खा रहा था. ब्रह्मदेव ने भक्तिभाव से उस कुत्ते के साथ बचे हुए चावल खा लिए.
क्यों खाएं जाते हैं चावल
ऐसा माना जाता है कि यह घटना जिस दिन हुई थी उस दिन एकादशी का व्रत था. यह देखकर भगवान जगन्नाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने घोषणा की कि उनके महा प्रसाद पर एकादशी का नियम लागू नहीं होगा और एकादशी के दिन चावल खाए जा सकते हैं. उसी से जगन्नाथ पुरी में एकादशी के दिन चावल का भोग लगता है और उसे भक्त ग्रहण करते हैं.
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बद्रीनाथ धाम
इसके अलावा, बद्रीनाथ धाम में भी एकादशी के दिन चावल खाने की परंपरा है. बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक पुजारी को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि उनके धाम में एकादशी पर चावल चढ़ाए जाएं और भक्तों को भी खिलाए जाएं. इसलिए बद्रीनाथ धाम में एकादशी के दिन चावल से बनी खिचड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है और भक्तों में बांटा जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)