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59 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, वट सावित्री का व्रत रख करें शनि देव को प्रसन्न

शनि महाराज इस समय अपनी राशि मकर में स्थित हैं. यह भूमि तत्व की राशि है जिसमें शनि के साथ गुरु भी मौजूद है. ऐसा संयोग 59 साल पहले 1961 में बना था. इस साल के बाद फिर ऐसा ही संयोग 2080 में बनेगा.

Updated on: 21 May 2020, 03:39 PM

नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में अमावस्या ति​थि को बहुत ही खास माना जाता हैं, वही ज्येष्ठ महीने की अमावस्या 22 मई को पड़ रहा हैं इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाती हैं . इस दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती (Saturn) दोनों हैं. धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पूजा, जप, तप, दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति है. इस दिन पितरों को तर्पण करने का भी विधान है. इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि सूर्य (Sun) के पुत्र शनि महाराज का जन्म इसी अमावस्या तिथि को हुआ था. इसी अमावस्या तिथि को सावित्री ने यमराज को हराकर अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए थे इसलिए इस दिन सुहागन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं. ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि इस अमावस्या तिथि के दिन शनिदेव की पूजा और शनि शांति के उपाय करने वाले को शनि की दशा में अधिक कष्ट नहीं भोगना पड़ता है. इस वर्ष शनि जयंती के अवसर पर बहुत ही दुर्लभ योग संयोग बना हुआ है, जिसका प्रभाव देश दुनिया और सभी राशियों पर भी हो रहा है.

59 साल बाद ऐसा योग संयोग
शनि महाराज इस समय अपनी राशि मकर में स्थित हैं. यह भूमि तत्व की राशि है जिसमें शनि के साथ गुरु भी मौजूद है. ऐसा संयोग 59 साल पहले 1961 में बना था. इस साल के बाद फिर ऐसा ही संयोग 2080 में बनेगा. उस वक्त भी आज जिस तरह से तूफान और प्राकृतिक आपदाओं से मानव जाति संकट से गुजर रही है. इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. अमावस्या 21 मई की रात में 9 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 22 मई को 11 बजकर 08 मिनट तक है. अतः व्रती 22 मई को किसी भी समय पूजा, जप, तप, दान और पुण्य और पितरों को तर्पण देने के धार्मिक कार्य कर सकते हैं.

वृष राशि में 4 ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र और चंद्रमा
इस बार शनि जयंती के दिन 22 मई को वृष राशि में 4 ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र और चंद्रमा भी मौजूद होंगे. एक राशि में इन 4 प्रमुख ग्रहों का होना भी दुर्लभ माना जाता है. ज्योतिषशास्त्र में बुध और राहु का संबंध तूफान से माना गया है, लेकिन इसमें तात्कालिक परिणाम चंद्रमा और शुक्र का भी देखा गया है, 3 मई 2019 को जब फोनी तूफान आया था तब भी शुक्र, बुध और चंद्रमा एक साथ मौजूद थे, 2018 में जब तितली तूफान आया था, तब भी ये तीनों ग्रह साथ ही बैठे थे, 26 दिसंबर 2004 में जब सुनामी आयी थी उस दिन भी शुक्र और बुध साथ बैठे थे, ओडीशा में आया अम्फान तूफान के समय भी शुक्र, बुध साथ ही पृथ्वी तत्व की राशि वृष में बैठे हैं, इस समय गुरु और शनि भी पृथ्वी तत्व की राशि में वक्री चल रहे हैं, ऐसे में इस बार शनि जयंती पर ग्रहों का यह योग बेहद कष्टकारी है,

शनि जयंती पर उग्र शनि को करें प्रसन्न
शनि जयंती पर शनि और गुरु के साथ-साथ मकर राशि में गोचर होने के कारण इस वर्ष शनि को खुश करना सभी राशि वालों के लिए फायदेमंद होगा, शनि जब भी मकर राशि में आते हैं तो इनकी उग्रता बढ़ जाती है, यह उसी प्रकर है जैसे अपने घर में आकर हर कोई बलवान हो जाता है और जैसा चाहता है वैसा करने लगता है, शनि महाराज की भी यही स्थिति है, ऐसे में शनि जयंती पर शनि स्तोत्र, शनि देव के वैदिक मंत्रों का जप और शनि चालीसा का पाठ कल्याणकारी होगा, इससे शनि के प्रतिकूल प्रभाव में कमी आएगी. 22 मई शनि जयंती के मौके पर वृष राशि में 4 ग्रह बैठे होंगे जिसमें चंद्रमा भी शामिल हैं इससे कई राशियों के लोगों का मन अस्थिर और बेचैन रह सकता है. वृष और वृश्चिक राशि के लोगों को गंभीरता पूर्वक काम करना चाहिए नहीं तो चोट, कष्ट और मानसिक पीड़ा हो सकती है. मिथुन राशि के लोगों को वाणी पर संयम रखना होगा. अनिद्रा की शिकायत हो सकती है, कुछ अनावश्यक खर्च भी हो सकते हैं.