Prayagraj Religious History: तीर्थों का राजा कहलाता है प्रयागराज, जानें इसका धार्मिक इतिहास

Hindu Mythology: प्रयागराज में इस बार महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. यूपी की ये जगह तीर्थों का राजा कहलाती है. इसका धार्मिक इतिहास क्या है आइए जानते हैं. 

Hindu Mythology: प्रयागराज में इस बार महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. यूपी की ये जगह तीर्थों का राजा कहलाती है. इसका धार्मिक इतिहास क्या है आइए जानते हैं. 

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Inna Khosla
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Prayagraj Religious History

Prayagraj Religious History Photograph: (News Nation)

Prayagraj Religious History: प्रयागराज का धार्मिक इतिहास बहुत पुराना है. इस जगह का प्राचीन नाम प्रयाग था. प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है क्योंकि ये वही स्थान है जहां तीन पवित्र नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती संगम पर मिलती हैं. हिंदू धर्म में संगम अत्यंत पवित्र माना जाता है. तीर्थों का राजा प्रयागराज के बारे में वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में भी पढ़ने को मिलता है.

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प्रयागराज का प्राचीन धार्मिक महत्व (Ancient religious significance of Prayagraj)

पुराणों के अनुसार, सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी ने यहीं यज्ञ किया था. इस वजह से इसका नाम प्रयाग पड़ा. प्र का अर्थ है विशेष और याग का अर्थ है यज्ञ. प्रयागराज महाकुंभ के लिए विश्व प्रसिद्ध है जो हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है. इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक समागम माना जाता है. ऋग्वेद और अथर्ववेद में प्रयागराज का उल्लेख प्रयाग के रूप में मिलता है, जो आध्यात्मिक तप और साधना के लिए जाना जाता है. 

रामायण में भगवान राम के प्रयागराज आगमन का वर्णन है. महाभारत में इसे वात्स्यायन क्षेत्र और भृगु क्षेत्र कहा गया है. यहीं पर पांडवों ने तीर्थ यात्रा के दौरान यज्ञ किए थे. 

अकबर के समय में भी इस जगह के बारे में पढ़ने को मिलता है. मुगल सम्राट अकबर ने इस स्थान को इलाहाबाद नाम दिया, जिसका अर्थ है ईश्वर का निवास. लेकिन अक्टूबर 2018 में योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Adityanath) सरकार ने ने इस जगह का नाम फिर से बदलकर प्रयागराज ही कर दिया.

त्रिवेणी संगम (triveni sangam) के कारण इस जगह को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम सबसे प्रमुख तीर्थ स्थान है. यहां लेटे हुए हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर भी है. प्राचीन काल में जहां ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी वो भारद्वाज मुनि का आश्रम भी यहीं पर है. आनंद भवन, आधुनिक इतिहास में भी प्रयागराज की पहचान है. संगम क्षेत्र में स्थित अक्षयवट (अमर बरगद का पेड़) को मोक्ष प्रदान करने वाला कहा गया है. इस बार महाकुंभ के दौरान ये आकर्षण का केंद्र भी होगा. 

हर 6 और 12 वर्षों में महाकुंभ (mahakumbh 2025) और अर्धकुंभ का आयोजन यहां होता है. इस बार देश विदेश से यहां 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद की जा रही है. यहां प्रत्येक वर्ष जनवरी-फरवरी में माघ मेला आयोजित होता है, जहां श्रद्धालु संगम में स्नान करते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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