देवी के 51 शक्तिपीठों में से सबसे ज्यादा बंगाल में हैं. वहीं 5 बांग्लादेश में हैं. इनके अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और तिब्बत में भी माता रानी के शक्तिपीठ हैं. ये वही स्थान हैं जहां देवी सती के अंग गिरे थे. आइए जानें कौन सा पीठ कहां है..
1. पाकिस्तान, हिंगलाज का शक्तिपीठ
पाकिस्तान के सिन्ध की राजधानी कराची जिले के बाड़ीकलां में माता का मंदिर सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है. ये पहाड़ियां पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जाए गए बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के पास हिंगलाज क्षेत्र में स्थित हैं. यहां का मंदिर प्रधान 51 शक्तिपीठों में से एक है. हिंगलाज ही वह जगह है, जहां माता का सिर गिरा था. यहां माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान शंकर भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं. कहते हैं कि यहां माता का ब्रह्मरंध गिरा था. इसे नानी मां का मंदिर भी कहा जाता है.
2.पाकिस्तान, कटसराज मंदिर, चकवाल
भगवान शिव की पत्नी जब सती हुईं तो महादेव की आंख से गिरे दो आंसू. एक आंसू गिरा भारत के पुष्कर में और दूसरा गिरा सीधा पाकिस्तानी पंजाब के चकवाल जिले में. बताते हैं कि करीब 900 साल पहले चकवाल में कटसराज मंदिर बनाया गया. यह भी मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. हालांकि इसका कहीं उल्लेख नहीं मिलता है.
3.बांग्लादेश, यशोर- यशोरेश्वरी
बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे. इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं.
4.बांग्लादेश, करतोयातट- अपर्णा
बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गाँव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी. इसकी शक्ति है अर्पण और भैरव को वामन कहते हैं.
5.बांग्लादेश, जयंती- जयंती
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गाँव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर जहाँ माता की बायीं जंघा गिरी थी. इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं.
6.बांग्लादेश, चट्टल - भवानी
बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगाँव) जिला के सीताकुंड स्टेशन के निकट चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी. इसकी शक्ति भवानी है और भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं.
7.नेपाल, गंडकी
नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर, जहाँ माता का मस्तक या गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी. इसकी शक्ति है गण्डकी चण्डी और भैरव चक्रपाणि हैं.
8.नेपाल- महामाया
नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के निकट स्थित है गुजरेश्वरी मंदिर जहाँ माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे. इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं.
9.तिब्बत, मानस- दाक्षायणी
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के निकट एक पाषाण शिला पर माता का दायाँ हाथ गिरा था. इसकी शक्ति है दाक्षायनी और भैरव अमर हैं.
10.बांग्लादेश, सुगंधा- सुनंदा
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है माँ सुगंध, जहाँ माता की नासिका गिरी थी. इसकी शक्ति है सुनंदा और भैरव को त्र्यंबक कहते हैं.
11.श्रीलंका- इंद्राक्षी
श्रीलंका में संभवत: त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी (त्रिंकोमाली में प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट). इसकी शक्ति है इंद्राक्षी और भैरव को राक्षसेश्वर कहते हैं.
Source : दृगराज मद्धेशिया