Sant Ravidaas Dohe: सुने संत रविदास के ये 10 प्रसिद्ध दोहे, मिलेगी शांति और समृद्धि

Sant Ravidaas Dohe: उनकी वाणी में सभ्यता, समाज, धर्म, और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का प्रचार होता था. संत रविदास ने अपने काव्य और भक्तिगीतों के माध्यम से समाज को सम्मान और समर्थन के लिए प्रेरित किया.

Sant Ravidaas Dohe: उनकी वाणी में सभ्यता, समाज, धर्म, और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का प्रचार होता था. संत रविदास ने अपने काव्य और भक्तिगीतों के माध्यम से समाज को सम्मान और समर्थन के लिए प्रेरित किया.

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Vikash Gupta
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Sant Ravidaas Dohe

Sant Ravidaas Dohe( Photo Credit : News Nation)

Sant Ravidaas Dohe: संत रविदास भारतीय समाज के एक महान संत और समाज सुधारक थे. उनका जन्म वाराणसी के निकट सिंहपुर गाँव में वर्ष 1450 ईसापूर्व में हुआ था. रविदास जी के पिता का नाम संतोकदास था और माता का नाम कलावती था. उनके जन्मकाल में भारत में सामाजिक विभेद, जातिवाद, और उत्पीड़न की स्थिति थी. संत रविदास जी ने उत्तर भारतीय समाज में समाजिक असमानता के खिलाफ सजगता फैलाने के लिए जीवन अर्पित किया. उन्होंने जातिवाद और असमाजिक विचारधारा का विरोध किया और सभी लोगों के बीच एकता और समानता की बात की.

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उनकी वाणी में सभ्यता, समाज, धर्म, और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का प्रचार होता था. संत रविदास ने अपने काव्य और भक्तिगीतों के माध्यम से समाज को सम्मान और समर्थन के लिए प्रेरित किया. उनकी रचनाएँ भागवत धर्म के संदेश को सरलता से समझने में मदद करती हैं और उन्होंने लोगों को धर्म, ईमानदारी, और समाज की सेवा में लगाने के लिए प्रेरित किया. उनके उपदेशों और शिक्षाओं का अभ्यास आज भी समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण है. 

संत रविदास के 10 प्रसिद्ध दोहे

"करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान.
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान॥"

"बिना हरि भजन केवल कामना.
कबहुं न सिधि संपति, कछु नहिं पावन॥"

"कहै कबीरा जो चेला, इह भजहि जिन बाल.
पूजहि जिन नारक में, ता कै मुख निखाल॥"

"रविदास जन जन करि, आत्मा का सोवा.
तीनि लोक की सार बात, संता तिहारिलै रोवा॥"

"ब्रह्मा जोति तुम्हारी, ज्योंति नर्म सो सहाई.
ताकि रचना धार धरि, गुण गावै दाई॥"

"रविदास कहै सुनो भई साधो.
अंतरिय ज्ञान प्रकट रहें न दोष॥"

"रविदास बचन धरै सब काज.
आधीन कूद करे नहीं ताज॥"

"मित्र विद्या मोहि भवन बसै.
दुःख सोग अभिमान मिट जाये॥"

"संत रविदास भए त्यागी.
बाणी बचन मोहि प्रिय लागी॥"

"रविदास दास इश्वर पूजत.
नाम जपत अवधपुर बासत॥"

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

Sant Ravidaas Dohe गुरु रविदास जयंती
      
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