logo-image

छोटी दिवाली: गणपति बनाएंगे सभी बिगड़े काम, लक्ष्मी करेंगी धन से निहाल

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.साथ ही इसे मुक्ति पाने वाला पर्व भी माना जाता है.नरक चतुर्दशी को लेकर कई मान्यताएं हैं.और उन्हीं में से एक है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर सोलह हजार एक सौ आठ राज कन्याओं को बन्दीगृह से मुक्त करवाया था.

Updated on: 06 Nov 2018, 03:41 PM

नई दिल्ली:

कार्तिक में पड़ने वाला दीपोत्सव देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वश्रेष्ठ समय है. कल धनतेरस के साथ ही दीपोत्सव की शुरुआत भी हो गई और 9 नवंबर यानि की भाई दूज तक इस दीपोत्सव की धूम दिखाई देगी.इस उत्सव में पांच दिन होते हैं.इसमे धनतेरस, छोटी दिवाली.बड़ी दिवाली.गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल है.दीपोत्सव के पांचों दिन का अपना खास महत्व है.और हर दिन को एक अलग और खास तरह से मनाया जाता है.दीपोत्सव के पहले दिन 13 दीप जलाए जाते हैं.जिससे धन और आरोग्यता की प्राप्ति होती है.दूसरे दिन 14 दीप जलाकर यमदेव की पूजा की जाती है.दीपावली के दिन हर जगह दीए जलाकर पूरे घर को रौशन किया जाता है.वहीं गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत बनाकर उनकी पूजा की जाती है और दीपोत्सव के आखिरी दिन बहन भाई के स्नेह का पर्व भाई दूज मनाया जाता है.

VIDEO : धनतेरस से शुरू हुआ दीप का त्योहार, दीवाली पर विशेष रिपोर्ट

छोटी और बड़ी दिवाली में फर्क 

हमारे देश में दिवाली का पर्व 2 दिन तक बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है.छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली में फर्क सिर्फ इतना है कि छोटी दिवाली के दिन यमराज की पूजा की जाती है.और बड़ी दिवाली के दिन माता लक्ष्मी संग श्री गणेश का पूजन अर्चन किया जाता है.मान्यता है कि छोटी दिवाली ही एकमात्र ऐसा दिन है जिस दिन यम देव को दीया अर्पण किया जाता है.

नरक निवारण की प्रार्थना 

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.साथ ही इसे मुक्ति पाने वाला पर्व भी माना जाता है.नरक चतुर्दशी को लेकर कई मान्यताएं हैं.और उन्हीं में से एक है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर सोलह हजार एक सौ आठ राज कन्याओं को बन्दीगृह से मुक्त करवाया था.जिसके चलते इस तिथि का नाम पड़ा नरक चतुर्दशी. कहते हैं इस दिन पूजा अर्चना करने से जातक को नरक की यात्रा नहीं भोगनी पड़ती.मान्यता है कि इसीलिए इस दिन लोग अपने घर में यमराज की पूजा कर अपने परिवार वालों के लिए नरक निवारण की प्रार्थना करते है.माना जाता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से सभी पापों का भी नाश हो जाता है.

यह भी पढ़ें ः मप्र के पूर्व CM बाबूलाल गौर बोले-पीएम मोदी ने दिया है भरोसा, पार्टी के टिकट पर लडू़ंगा चुनाव

इन सभी मान्यताओं के बीच एक मान्यता ये भी है वामन अवतार में जब भगवान विष्णु राजा बली के सामने प्रकट हुए थे तब राजा बली ने भगवान से यही वरदान मांगा था कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक जो भी साधक यमराज के लिए दीप दान करें, उसे यमराज की यातना ना भोगनी पड़े.साथ ही माता लक्ष्मी कभी भी उस जातक के घर का त्याग ना करें. राजा बलि कि बात सुनकार भगवान ने  उनकी इस इच्छा को पूरा कर दिया.कहते हैं तभी से दीपोत्सव में यमराज के लिए दीप दान करने की प्रथा चली आ रही है. मान्यता है कि इस दिन आलस और बुराई को हटाकर जिंदगी में सच्चाई की रोशनी का आगमन होता है.कहते हैं इस दिन रात को घर के बाहर दिए जलाकर रखने से यमराज प्रसन्न होते हैं. और अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है.

क्‍यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी

रंति देव नामक एक राजा से भी जुड़ी है.कहते हैं रंति देव एक मात्र ऐसे राजा थे,जिन्होंने जाने-अनजाने में भी कभी कोई पाप नहीं किया.वो सदैव ही संसार के भले के लिए कार्य करते थे, लेकिन उनकी मृत्यु के समय उनके समक्ष यमदूत आकर खड़े हो गए, जिसे देख राजा अचंभित हो गए.राजा बोले हे ईश्वर मैंने तो कभी कोई पाप नहीं किया। कभी गलती से भी किसी का दिल नहीं दुखाया फिर आप मुझे लेने क्यों आए.तभी यमदूत ने कहा कि एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप के चलतेे आपको यमलोक की यातना भोगनी पड़ेगी. इसके बाद राजा ने यमदूत से प्रार्थना की कि हे प्रभु मुझे एक साल का समय दे दीजिए, मैं अपने पाप कर्मों का धरती पर ही प्रायश्चित करना चाहता हूं. तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया.जिसके बाद राजा अपनी को लेकर ऋषियों के पास पहुंचे.तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आने पर आप उसका व्रत करें.और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें.ऐसा करने से आपके सभी पापों का नाश हो जाएग और आपको स्वर्ग लोक की प्राप्ति होएगी.

VIDEO : रोशनी से जगमग होगी रामनगरी, 3 लाख दिए जलाकर बनेंगे रिकॉर्ड

चलिए अब आपको बताते हैं कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ऐसा क्या करने से आपको लाभ मिल सकता है.कहते हैं इस दिन सूर्योदय से पूर्व तेल मालिश और स्नान करना चाहिए.और शाम के समय में यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए. इस दिन श्री हनुमान के लिए भी दीपदान करने का विधान है.वहीं कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.कहते हैं इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य में वृद्धि होती है. हिंदू धर्म में सभी तिथियों का अपना खास महत्व है और हर तिथि का स्वामी एक अलग देवता हैं.कहते हैं हर तिथि की पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. और नरक चतुर्दशी को लेकर मान्यता है कि इस दिन दीए जलाकर घर के बाहर रखने से पितरों को अपने लोक जाने का रास्ता दिखाई देता है. इससे पितृ, देवता और देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. दीपदान से संतान सुख में आने वाली बाधा दूर होती है और वंश वृद्धि होती है.