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आज यानी 23 अक्टूबर 2025 को चित्रगुप्त पूजा का पावन पर्व मनाया जा रहा है. यह त्योहार दीपावली के दो दिन बाद, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है. इसी दिन भाई दूज का त्योहार भी मनाया जा रहा है. चित्रगुप्त पूजा का विशेष महत्व कायस्थ समाज के लिए होता है, क्योंकि भगवान चित्रगुप्त को उनका आराध्य देव माना जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त ही वे देवता हैं जो मनुष्यों के सभी शुभ-अशुभ कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है.
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
कहते हैं कि इस दिन भगवान चित्रगुप्त का प्राकट्य ब्रह्मा जी के चित से हुआ था, इसलिए इसे अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है. इस दिन बहीखाते, कलम और पुस्तकों की पूजा करने से ज्ञान, शिक्षा, व्यापार और बुद्धि में वृद्धि होती है. जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से पूजा करता है, चित्रगुप्त महाराज उस पर कृपा दृष्टि रखते हैं और उसे सुख, समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से लेकर 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. इस समय के दौरान भगवान चित्रगुप्त की विधिवत पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं.
पूजा विधि और सामग्री
इस दिन को ‘कलम-दवात पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है. पूजा के लिए आपको बहीखाता, कलम, दवात, इत्र, फूल, दीपक, धूप, मिठाई, खीर आदि की आवश्यकता होगी.
1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें.
2. एक वेदी पर भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
3. अपनी कलम, किताबें और खाते भी वहीं रखें, इन्हें भगवान चित्रगुप्त का प्रतीक माना जाता है.
4. सबसे पहले ‘ॐ श्री गणेशाय नमः’ का जाप करें और फिर चित्रगुप्त जी का ध्यान करें.
5. उन्हें रोली, चंदन, अक्षत, फूल और पंचामृत अर्पित करें.
6. घी का दीपक और धूप जलाकर चित्रगुप्त कथा का पाठ करें.
7. खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं, फिर आरती करें और प्रसाद बांटें.
8. अंत में भगवान से जाने-अनजाने में हुए पापों के लिए क्षमा मांगें और आने वाले वर्ष में सत्कर्म करने का संकल्प लें.
चित्रगुप्त पूजा मंत्र
ध्यान मंत्र:- ‘मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्। लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्॥’
प्रचलित मंत्र:- ‘ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः॥’
पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, एक बार सौदास नामक राजा अपनी क्रूरता के लिए प्रसिद्ध था. एक दिन उसने एक ब्राह्मण को चित्रगुप्त की पूजा करते देखा. ब्राह्मण ने बताया कि इस दिन पूजा करने से सभी पाप मिट जाते हैं. यह सुनकर राजा ने भी श्रद्धा से पूजा की. मृत्यु के बाद जब वह यमलोक पहुंचा, तो चित्रगुप्त ने यमराज से कहा कि उसने अंत समय में भक्ति की थी, इसलिए उसे नरक नहीं, स्वर्ग की प्राप्ति होगी.
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