Chandra Grahan 2025 Time: धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है. इस दौरान सूतक काल लागू होता है, मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-अर्चना नहीं होती.
Chandra Grahan 2025: साल 2025 का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण रविवार की रात देखने को मिलेगा. यह घटना वैज्ञानिक दृष्टि से पूरी तरह प्राकृतिक है, लेकिन धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं में इसका विशेष महत्व माना जाता है. इस बार चंद्रमा रक्तिम आभा लिए नजर आएगा, जिसे ब्लड मून कहा जाता है.
विज्ञान की नजर से चंद्र ग्रहण
खगोल विज्ञान के अनुसार जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है और चंद्र ग्रहण होता है. इस दौरान सूर्य की सीधी रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती. पृथ्वी का वायुमंडल लाल रंग की किरणों को परावर्तित करता है, जिससे चांद लालिमा लिए नजर आता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि इसे नंगी आंखों से सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है, जबकि दूरबीन से यह दृश्य और अधिक स्पष्ट दिखाई देगा.
पौराणिक मान्यता और धार्मिक आस्था
हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण का संबंध राहु-केतु से जोड़ा गया है. स्कंद पुराण के अनुसार समुद्र मंथन के समय अमृतपान करने वाले राक्षस स्वरभानु का सिर भगवान विष्णु ने अलग कर दिया था. उसका सिर ‘राहु’ और धड़ ‘केतु’ कहलाया. इन्हीं के प्रभाव से सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगता है.
धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है. इस दौरान सूतक काल लागू होता है, मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-अर्चना नहीं होती. कई लोग इस समय भोजन और पानी का भी त्याग कर देते हैं.
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से असर
ज्योतिषियों का मानना है कि यह ग्रहण कुंभ राशि में लग रहा है और इसका असर व्यापक होगा. उनके मुताबिक आने वाले दिनों में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है. प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन की भी आशंका जताई जा रही है.
कहा जा रहा है कि ग्रहण के दौरान और इसके बाद के 45 दिनों तक घटनाओं की संभावना अधिक रहती है. कुछ ज्योतिषियों ने इसे भारत की राजनीति और पड़ोसी देशों के रिश्तों पर भी असरकारी बताया है.
लोगों को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस समय दान-पुण्य, मंत्रोच्चार और ध्यान करने से नकारात्मक असर को कम किया जा सकता है. साथ ही, मानसिक स्थिति को संतुलित रखने और सकारात्मक सोच बनाए रखने की सलाह दी जाती है.
जहां, विज्ञान इसे एक अद्भुत खगोलीय घटना मानता है, वहीं आस्था और परंपरा में इसे शुभ-अशुभ से जोड़ा जाता है. चंद्र ग्रहण निश्चित रूप से लोगों की जिज्ञासा का केंद्र है, लेकिन इसे लेकर डरने के बजाय सतर्कता और सकारात्मक सोच अपनाना ही सबसे बेहतर उपाय है.
यह भी पढ़ें: Chandra Grahan 2025: भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण शुरू, दुर्लभ संयोग, दुनियाभर की नजरें आसमान पर टिकी