Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य द्वारा रचित नीति शास्त्र का पालन कर सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन में सफल हो सकता है. वह कहते हैं कि धर्म पथ पर रहकर कर्म करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में जरूर सफल होता है. चाणक्य की नीतियों को व्यक्ति अपने करियर और कारोबार में भी अप्लाई कर सकता है. आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में सभी विषयों या बिंदुओं पर ध्यान दिया है. आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना में बताया है कि ये तीन तरह के लोग राजाओं की तरह जिंदगी जीते हैं.
ये तीन लोग
मातृवत् परदारांश्च परद्रव्याणि लोष्ठवत्।
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स पश्यति॥
आचार्य चाणक्य ने अपने बारहवें अध्याय में राजाओं की तरह जिंदगी जीने वाले लोगों के बारे में बताया है. उन्होंने अपने बारहवें अध्याय के 13वें श्लोक में बताया कि 'मातृवत् परदारांश्च' - यानी की जो व्यक्ति अपनी पत्नी को छोड़कर सभी महिलाओं को माता मानता है. उस पर परमात्मा की असीम कृपा बरसती है. परम पिता परमेश्वर की कृपा से वह व्यक्ति पृथ्वी लोक पर राजाओं की तरह जिंदगी जीते हैं.
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि इंसान अपने कर्मों से जीवन में तरक्की और उन्नती करता है. वहीं जो इंसान दूसरों के धन को चुराता है वो जीवन में कभी भी सुखी नहीं रह पाता है. 'परद्रव्याणि लोष्ठवत्' - यानी कि दूसरे के धन को ढेला समझने वाले लोग हमेशा सुखी रहते हैं. ऐसे लोगों पर परमात्मा की भी कृपा बरसती है. नारायण की कृपा से ऐसे लोगों को धरती पर सभी प्रकार के सुखो की प्राप्ति होती है.
आचार्य चाणक्य श्लोक के अंत में कहते हैं कि सभी जीवों में परमात्मा को देखने वाले लोग जीवन में हमेशा सुखी रहते हैं. ऐसे लोग अपने जीवन में सुखी और संतुष्ट रहते हैं. साथ ही जीवन में खूब तरक्की करते हैं. इसके साथ ही मधुरभाषी, सात्विक व्यक्ति, दानी और विनम्र स्वभाव रखने वाले लोग भी जीवन में तरक्की और उन्नति की राह पर अग्रसर रहते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.