श्री कृष्ण के इस पाठ से मिलता है अपार धन और अजेय बल, बुद्धि वृद्ध से मिलती है सफलता
कृष्ण चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. कृष्ण की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है. कृष्ण शक्ति-ज्ञान के मालिक है, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है.
कृष्ण चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. कृष्ण की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है. कृष्ण शक्ति-ज्ञान के मालिक है, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है.
श्री कृष्ण के इस पाठ से मिलता है अपार धन और अजेय बल( Photo Credit : Social Media)
हिंदू धर्म के अनुसार श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. श्री कृष्ण को पूर्णावतार भी कहा जाता है क्योंकि उनके मृत्यु लोक के सभी चरणों को भोगा है. मान्यता है कि भक्ति-भाव से भगवान कृष्ण की पूजा करने से सफलता, सुख और शांति की प्राप्ति होती है. वहीं, कृष्ण चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. कृष्ण की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है. कृष्ण के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है. वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता. कृष्ण शक्ति-ज्ञान के मालिक है, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है.
असुर बकासुर आदिक मार्यो । भक्तन के तब कष्ट निवार्यो ॥ दीन सुदामा के दुःख टार्यो । तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥ प्रेम के साग विदुर घर मांगे। दुर्योधन के मेवा त्यागे॥ लखि प्रेम की महिमा भारी। ऐसे श्याम दीन हितकारी॥26
भारत के पारथ रथ हांके। लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥ निज गीता के ज्ञान सुनाये। भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥ मीरा थी ऐसी मतवाली। विष पी गई बजाकर ताली॥ राना भेजा सांप पिटारी। शालिग्राम बने बनवारी॥28
निज माया तुम विधिहिं दिखायो। उर ते संशय सकल मिटायो॥ तब शत निन्दा करी तत्काला। जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥ जबहिं द्रौपदी टेर लगाई। दीनानाथ लाज अब जाई॥ तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला। बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥ 32
अस नाथ के नाथ कन्हैया। डूबत भंवर बचावत नैया॥ सुन्दरदास आस उर धारी। दयादृष्टि कीजै बनवारी॥ नाथ सकल मम कुमति निवारो। क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥ खोलो पट अब दर्शन दीजै। बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥36
॥ दोहा ॥ यह चालीसा कृष्ण का,पाठ करै उर धारि। अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,लहै पदारथ चारि॥