Holi Special Shri Radha Chalisa: होली के सभी महा उपायों का मात्र एक ब्रह्मास्त्र है राधे रानी का ये पाठ, मुकदमों से लेकर हर विपदा से मिलता है छुटकारा
मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन की एक रात पहले से लेकर रंगों वाली होली की मध्य रात्री यानी कि 12 बजे तक अगर श्री राधा चालीसा (Shri Radha Chalisa) का पाठ किया जाए तो इससे न सिर्फ बड़े से बड़ा मुकदमा खत्म हो जाता है बल्कि हर तरह की विपदा दूर होती है.
श्री राधे रानी के इस पाठ से दूर होगी हर विपदा, मुकदमों से मिलेगी निजात( Photo Credit : Social Media)
Holi Special Shri Radha Chalisa: होली के अवसर पर लोग कई तरह के उपायों को अपनाते हैं. जिनमें कुछ सात्विक होते हैं तो कुछ तामसिक. लेकिन श्री राधा चालीसा पाठ इन सभी उपायों का महा उपाय है. इसे होली के उपायों का ब्रह्मास्त्र भी कहा जा सकता है. मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन की एक रात पहले से लेकर रंगों वाली होली की मध्य रात्री यानी कि 12 बजे तक अगर श्री राधा चालीसा का पाठ किया जाए तो इससे न सिर्फ बड़े से बड़ा मुकदमा खत्म हो जाता है बल्कि हर तरह की विपदा दूर होती है.
गौरांगी शशि निंदक वदना । सुभाग चपल अनियारे नैना ॥ जावक यूथ पद पंकज चरण । नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥ सन्तता सहचरी सेवा करहीं । महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥ रसिकन जीवन प्रण अधर । राधा नाम सकल सुख सारा ॥
अगम अगोचर नित्य स्वरूप । ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥ उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी । कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥ नित्य धाम गोलोक बिहारिनी । जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥ शिव अज मुनि सनकादिक नारद । पार न पायं सेष अरु शरद ॥
राधा शुभ गुण रूपा उजारी । निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥ ब्रज जीवन धन राधा रानी । महिमा अमित न जय बखानी ॥ 20
प्रीतम संग दिए गल बाहीं । बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥ राधा कृष्ण कृष्ण है राधा । एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥ श्री राधा मोहन मन हरनी । जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥ कोटिक रूप धरे नन्द नंदा । दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥
रास केलि कर तुम्हें रिझावें । मान करो जब अति दुःख पावें ॥ प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें । विविध भांति नित विनय सुनावें ॥ वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम । नाम लेथ पूरण सब कम ॥ कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू । विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥
तू न श्याम भक्ताही अपनावें । जब लगी नाम न राधा गावें ॥ वृंदा विपिन स्वामिनी राधा । लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥ 30
स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा । और तुम्हें को जननी हारा ॥ श्रीराधा रस प्रीती अभेद । सादर गान करत नित वेदा ॥ राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं । ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥ कीरति कुमारी लाडली राधा । सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥
नाम अमंगल मूल नासवानी । विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥ राधा नाम ले जो कोई । सहजही दामोदर वश होई ॥ राधा नाम परम सुखदायी । सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥ यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन । जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥
रास विहारिणी श्यामा प्यारी । करुहू कृपा बरसाने वारि ॥ वृन्दावन है शरण तुम्हारी । जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥ 40
॥ दोहा ॥ श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम । करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ॥ ॥ इति श्री राधा चालीसा ॥