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Maa Maha Gauri Chalisa: मां महागौरी के इस पाठ से वैवाहिक जीवन की लौट आती हैं खुशियां, शादी में आने वाली अड़चनें होती हैं दूर

नवरात्रि के आंठवें दिन यानी कि अष्टमी तिथि को माता महागौरी की पूजा का विधान है. अष्टमी तिथि का न सिर्फ विशेष महत्व है बल्कि ये तिथि फल प्राप्ति हेतु भी काफी लाभ दायक मानी जाती है.

Updated on: 04 Apr 2022, 10:01 AM

नई दिल्ली :

Maa Maha Gauri Chalisa: नवरात्रि के आंठवें दिन यानी कि अष्टमी तिथि को माता महागौरी की पूजा का विधान है. अष्टमी तिथि का न सिर्फ विशेष महत्व है बल्कि ये तिथि फल प्राप्ति हेतु भी काफी लाभ दायक मानी जाती है. इस दिन माँ महागौरी की पूजा के साथ साथ उनका ये विशेष पाठ करने से शादी में आने वाली हर तरह की दिक्कतें दूर हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी से परेशानियां नष्ट हो जाती हैं. इसके साथ ही, प्रेमी जोड़े या पति पत्नी के रिश्ते में खुशहाली पनपने लगती है.

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मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधी न जानती, पर श्रद्धा है आपर,
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।

नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश मिटाओ।

सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटु ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेहा मै पायु।

परम आराध्या आप हो मेरी, फ़िर क्यूं वर मे इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोडे में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।

देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर मै पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन मे आस जगावे।

शिव भी आपका काहा ना टाले, दया द्रष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान, जग मे पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया द्रष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।

जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सता गुन की हो दता आप, हर इक मन की ग्याता आप,
काटो हमरे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।

दुख संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय, हठ जय माँ सब विपदाए।
जीसपे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।

अवगुन मेरे ढक देना माँ, ममता आँचल कर देना माँ,
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम, सब धामो को माँ प्राणम।

आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण मे आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।

अपकी महिमा अती निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनो कामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढे-सुनाया, सुयोग वर् वरदान मे पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।

गौरी माँ विनती करूँ, आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये, हो जाए उद्धहार।
हीं हीं हीं शरण मे, दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये, पाऊँ मान सम्मान।

जय माँ गौरी