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Banke Bihari Temple: वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर में बरसों या यूं कहें सैकड़ों साल पुरानी परंपरा टूट गई है. खास बात यह है कि ये कोई ऐसी वैसी परंपरा नहीं बल्कि ठाकुर जी यानी बांके बिहारी को समय पर भोग लगाने की परंपरा टूटी है. परंपरा के विपरीत ठाकुर बांके बिहारी जी को सुबह का बाल भोग और रात का शयन भोग अर्पित नहीं किया जा सका. आमतौर पर मंदिर में रोजाना चार बार भोग लगाया जाता है, जिसे देखने और पाने के लिए लाखों श्रद्धालु उत्सुक रहते हैं. लेकिन इस बार भक्तों के साथ स्वयं ठाकुर जी भी अपने प्रिय भोग से वंचित रह गए.
चार भोगों की अटूट परंपरा
बांके बिहारी मंदिर में प्रतिदिन बाल भोग, राजभोग, उत्थापन भोग और शयन भोग की परंपरा है. यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि भक्तों की भावनाओं का भी अभिन्न हिस्सा मानी जाती है. खासतौर पर बाल भोग और शयन भोग का विशेष महत्व है. ऐसे में इन भोगों का न लगना मंदिर परिसर में चर्चा और नाराजगी का कारण बन गया.
वेतन विवाद बना वजह
इस अप्रत्याशित घटना के पीछे जो कारण सामने आया, उसने सभी को हैरान कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित हाई पावर्ड कमेटी की ओर से मंदिर में प्रभु के भोग के लिए एक हलवाई की नियुक्ति की गई थी. इस हलवाई को प्रतिमाह 80 हजार रुपये वेतन दिया जाना तय है. आरोप है कि पिछले कई महीनों से हलवाई को उसका वेतन नहीं मिला था. बार-बार शिकायत के बावजूद समाधान न होने से नाराज होकर उसने सोमवार को ठाकुर जी का भोग तैयार नहीं किया.
भक्तों ने बताया अशुभ संकेत
बता दें कि रोजाना लाखों श्रद्धालु बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भोग और प्रसाद उनकी श्रद्धा का अहम हिस्सा है. सोमवार को भोग न लगने से भक्तों में निराशा और चिंता देखी गई. कई श्रद्धालुओं ने इसे अशुभ संकेत बताया और कहा कि सदियों पुरानी परंपरा का इस तरह टूटना बेहद दुखद है.
हाई पावर्ड कमेटी का आश्वासन
मंदिर की हाई पावर्ड कमेटी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बकाया राशि शीघ्र देने का भरोसा दिलाया है. साथ ही भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने, इसके लिए सख्त निर्देश जारी करने की बात कही गई है. सेवायतों ने स्पष्ट कहा कि भोग ठाकुर जी का अधिकार है और किसी भी प्रशासनिक चूक के कारण इसे रोका नहीं जाना चाहिए.
प्रबंधन से पूछताछ, जिम्मेदारी तय
मंदिर में भोग व्यवस्था की जिम्मेदारी मयंक गुप्ता को सौंपी गई है, जो हलवाई के माध्यम से चारों समय के भोग की व्यवस्था करते हैं. जब सेवायतों को भोग नहीं मिला, तो कमेटी के सदस्यों ने मयंक गुप्ता से पूछताछ की. इस दौरान वेतन भुगतान में देरी की बात सामने आई. इसके बाद तत्काल भुगतान के आदेश दिए गए हैं.
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