Amarnath Yatra: कबूतर को देखे बिना क्या पूरे नहीं होते दर्शन, इन पक्षियों का क्या शिव-पार्वती से है रिश्ता

Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा को भारत की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा में से एक माना जाता है. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए शिवभक्तों की लाइन लग जाती है. बाबा बर्फानी की महिमा अपरंपार है. बाबा बर्फानी को अमरनाथ और अमरेश्वर भी कहा जाता है.

Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा को भारत की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा में से एक माना जाता है. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए शिवभक्तों की लाइन लग जाती है. बाबा बर्फानी की महिमा अपरंपार है. बाबा बर्फानी को अमरनाथ और अमरेश्वर भी कहा जाता है.

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Nidhi Sharma
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Amarnath Yatra 2025

Amarnath Yatra 2025 Photograph: (Social Media and Freepik)

Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा करना काफी मुश्किल माना जाता है. बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु इतनी जोखिम भरी यात्रा कर लेते हैं. मान्यता है कि यदि श्रद्धालु इस यात्रा को सच्ची श्रद्धा से पूरा करते हैं, तो वह भगवान शिव के साक्षात दर्शन पा सकते हैं. हर साल सावन महीने में अमरनाथ यात्रा की जाती है. इस साल अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 03 जुलाई से हो रही है. वहीं इसका समापन सावन की पूर्णिमा तिथि पर यानी 09 अगस्त के दिन होगा. अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन सेवा शुरू हो चुकी है. भक्त ऑनलाइन सेवा के माध्यम से अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन (पंजीकरण) कर सकते हैं.

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कबूतर देखे बिना अधूरे हैं बाबा के दर्शन

बाबा बर्फानी के दर्शन से जीवन धन्य हो जाता है. इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु देश और विदेश से बाबा बर्फानी के दर्शन (Baba Barfani darshan) के लिए अमरनाथ यात्रा करते हैं. अमरनाथ यात्रा में केवल भगवान् शिव के दर्शन नहीं होते.  वहीं, अमरनाथ जी के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. बल्कि यहां इस गुफा में कबूतरों का एक जोड़ा भी मौजूद है, जो अमर हो चुका है और इस जोड़े के दर्शन करने वाले को बहुत भाग्यशाली समझा जाता है. वहीं ऐसी मान्यता है कि कबूतर देखे बिना बाबा बर्फानी के दर्शन अधूरा माना जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ बताते हैं.  

तांडव करते दिखे कबूतर

भृगु संहिता के 'अमरनाथ माहात्म्य' के अनुसार, चिरकाल में देवों के देव महादेव शाम के समय तांडव कर रहे थे. उस समय ''महाडामरुक गण' भी नृत्य करने लगे. उस समय महाडामरुक गणों ने ''कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु'' कहना शुरू कर दिया. यह देख और सुन देवों के देव महादेव क्रोधित हो उठें. उन्होंने गणों को गुस्से में कहा- तुम लोगों ने ''कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु'' कह कर मेरे नृत्य में बाधा डाली है. इसके लिए मैं, तुमलोगों को श्राप देता हूं कि तुम सब चिरकाल तक यहीं रहोगे.

कबूतर के जोड़े का शिव-पार्वती से रिश्ता

साथ ही अनंत काल तक ''कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु कुरु'' ही करते रहोगे. इस स्थान पर आने वाले भक्तजन जो मेरा दर्शन करेंगे, उनका तुम उद्धार करोगे. उनके दुख तुम सभी दूर करोगे. उनके पापों का नाश करोगे. इसके लिए वे तुम्हारा भी दर्शन करेंगे. कहते हैं कि 'महाडामरुक गण' के दर्शन बिना तीर्थ यात्रा सफल नहीं होती है. ये 'महाडामरुक गण' कबूतर ही हैं. इसलिए, आज भी इन कबूतरों के दर्शन को साक्षात शिव और पार्वती के दर्शन के समान माना जाता है और भी माना जाता है कि ये अमर हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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