Akurath Sankashti Chaturthi: 7 या 8 कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी? नोट कर लें तारीख, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Akurath Sankashti Chaturthi: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की अंतिम संकष्टी है जो भगवान गणेश को समर्पित है. ऐसे में चलिए हम आपको इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से बताते हैं.

Akurath Sankashti Chaturthi: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की अंतिम संकष्टी है जो भगवान गणेश को समर्पित है. ऐसे में चलिए हम आपको इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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Akansha Thakur
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Akurath Sankashti Chaturthi

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Akurath Sankashti Chaturthi: पौष मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाने वाली अखुरथ संकष्टी चतुर्थी को गणेश भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यह साल की अंतिम संकष्टी चतुर्थी होती है और भगवान गणेश को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा धन, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है. ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि इस साल अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाएगी, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के बारे में. 

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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब है? 

पंचांग के अनुसार, पौष मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत 07 दिसंबर 2025 को शाम 06 बजकर 24 मिनट से हो रही है. तिथि का समापन 08 दिसंबर 2025 को शाम 04 बजकर 03 मिनट पर होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत और पूजा उसी दिन की जाती है जब चतुर्थी तिथि उदयकाल में रहे. इसलिए अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 07 दिसंबर को मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत रखना शुभ माना गया है. 

अखुरथ संकष्टी पूजा मुहूर्त

अखुरथ संकष्टी पूजा मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 19 मिनट से दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक है. 
चंद्रोदय का समय: शाम 07 बजकर 55 मिनट पर होगा. 
राहुकाल: 07 दिसंबर को शाम 04 बजकर 06 मिनट से 05 बजकर 24 मिनट तक है. चंद्रोदय के बाद गणेश पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि संकष्टी व्रत में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है. 

अखुरथ संकष्टी का धार्मिक महत्व 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश के पूजन से सारे संकट, रोग और बाधाएं दूर होती हैं. अखुरथ का अर्थ जो कभी नहीं रुकता. माना जाता है कि यह व्रत भगवान गणेश की अनंत कृपा प्राप्त करने के लिए होता है. इस दिन किए गए जप, तप और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है. 

अखुरथ संकष्टी पूजा विधि 

सुबह स्नान कर लाल या पीले रंग का वस्त्र पहनें. 
पूजा स्थान पर लाल वस्त्र विछाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें 
रोली,  कुमकुम, दुर्वा, अक्षत और फूल चढ़ाएं. 
भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और विशेष चीजों का भोग लगाएं. 
धूप, दीपक जलाकर संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें. 

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