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Significance of Nose Ring In Hindu Dharm: दुल्हन का नथ पहनना है मां पार्वती से जुड़ी इस गंभीर बात का प्रतीक, शादी के बाद दिखता है असर

चलिए जानते हैं कि नथ पहनना दुल्हन के लिए क्यों ज़रूरी होता है और माँ पार्वती से इस परंपरा का क्या नाता है? साथ ही, नथ पहनने के स्वास्थ लाभ के बारे में जानेंगे.

Updated on: 02 May 2022, 10:49 AM

नई दिल्ली :

Significance of Nose Ring In Hindu Dharm: महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है नाक की नथ. शादी में अगर दुल्हन ने नथ नहीं पहनी हो तो श्रृंगार अधूरा सा लगता है. किसी महिला के शादीशुदा होने का अंदाजा नाक की नथ और पैरों में बिछिया देखकर ही लगाया जाता था. हालांकि आजकल कुंवारी लड़कियां भी फैशन में बिछिया और नाक में नथ पहनने लगी हैं. नाक में नोजपिन पहनना एक फैशन ट्रेंड बन गया है. भले ही ये चीजें फैशन एक्सेसरीज में शामिल हो गई हों, लेकिन नाक में नथ पहनने का हिंदू धर्म में खास महत्व रहा है. इसके पीछे हिंदू धर्म की कई ऐसी मान्यताएं भी हैं जिनसे आप सभी अनजान हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि नथ पहनना दुल्हन के लिए क्यों ज़रूरी होता है और माँ पार्वती से इस परंपरा का क्या नाता है? साथ ही, नथ पहनने के स्वास्थ लाभ के बारे में जानेंगे.  

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सोलह श्रृंगार की निशानी
हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार का बहुत महत्व है. माथे पर मांगटीका से लेकर पांव की बिछिया तक और चूड़ियां से लेकर नाक की नथ तक सभी चीजें सोलह श्रृंगार में शामिल होती हैं. नाक में नथ को विवाहित महिलाओं के सौभाग्य की निशानी माना जाता है. इससे किसी महिला के सुहागिन होने का पता चलता है. हिंदू धर्म में पहले सिर्फ उन महिलाओं की नाक छेदी जाती थी जो विवाहित होती थीं.

सौभाग्य का प्रतीक
उत्तर भारत में महिलाएं त्योहार या किसी फंक्शन पर अच्छी तरह सजती संवरती हैं. ऐसे में ज़ेवर पहनने का भी खूब चलन है. घर में हर शुभ मौके पर नथ पहनने का रिवाज है. नथ को सुहाग की निशानी माना जाता है. हालांकि आजकल सिर्फ शादी या किसी बड़े फंक्शन में ही महिलाएं नथ पहनती हैं. 

खूबसूरती का प्रतीक 
साड़ी या लंहगे पर नथ पहना न सिर्फ सौभाग्य की निशानी है बल्कि नथ पहनने से आपकी खूबसूरती भी बढ़ती है. नथ पहनकर एक अलग ही लुक आता है. अगर आपको किसी पार्टी फंक्शन में सबसे खास दिखना है तो नथ पहन सकते हैं. रिंग वाली बड़ी सी नथ सुंदरता को और बढ़ा देती है. हालांकि आजकल नथ की जगह रिंग नोज पिन या लौंग पहनने का चलन काफी बढ़ गया है. इसे कैरी करना भी आसान है.

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स्वास्थ्य के लिए 
नथ पहनने के पीछे धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही नथ पहनने से स्वास्थ्य लाभ भी होता है. हिंदु परंपरा के अनुसार लड़कियां नथ अपनी शादी के दिन ही पहनती हैं. आयुर्वेद में ऐसा कहा जाता है कि नथ नाक के दाएं या बाएं जहां पहनी जाती है उस प्रमुख हिस्से में हुए छेद के जरिए महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है. शादी के  समय कोई-कोई लड़कियां सोने की नथ पहनती हैं. हालांकि चांदी के  चांदी का नथ पहनने का भी प्रचलन है. वहीं सबसे ज्यादा इन दिनों आर्टिफिशियल नथ शादी में लड़कियां पहनती हैं। लेकिन आयुर्वेद में स्वर्ण और रजत भस्त को अच्छा माना गया है. इनके शरीर पर स्पर्श से बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए बताया गया है. 

मां पार्वती के सम्मान का प्रतीक 
दक्षिण भारतीय परंपरा में लड़कियां शादी के समय नाक के दाएं ओर नथ पहनती है. जबकि उत्तर भारत में लड़कियां नाक के बाएं ओर नथ पहनती हैं. ऐसा कहा जाता है कि नथ पहनकर लड़कियां माता पार्वती के प्रति सम्मान दर्शाती हैं.