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Vat Savitri Vrat 2022 Banyan Tree Significance: वट सावित्री व्रत के दौरान बरगद के वृक्ष की करें पूजा, जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

हिंदू धर्म में वट वृक्ष या बरगद के पेड़ की कई व्रत और त्योहार में पूजा की जाती है, इसमें से वट सावित्री की पूजा प्रमुख है. तो चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर वट वृक्ष (Significance of Banyan Tree) की पूजा क्यों की जाती है.

Updated on: 29 May 2022, 10:19 AM

नई दिल्ली:

वट सावित्री का व्रत (Vat savitri vrat 2022) हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही रखा जाता है. इस साल ये व्रत 30 मई, सोमवार को रखा जाएगा. हिंदू धर्म में इस व्रत का खास महत्व होता है. वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट सावित्री व्रत का महत्व (Vat savitri 2022 banyan tree significance) करवा चौथ के व्रत जितना होता है. हिंदू धर्म में वट वृक्ष या बरगद के पेड़ को विशिष्ट माना गया है. कई व्रत और त्योहार में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है, इसमें से वट सावित्री की पूजा प्रमुख है. तो चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर वट वृक्ष की पूजा क्यों की जाती है. साथ ही इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व (Vat savitri 2022 importance of banyan tree) क्या है.  

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बरगद के वृक्ष का धार्मिक महत्व 

हिंदू धर्म में वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा का विधान होता है. इसकी पूजा की भी कई वजहें है. आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु और अमरत्व के बोध के नाते भी स्वीकार किया जाता है. माना जाता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु एवं डालियों में शिव शंकर का निवास होता है. इसके अलावा इस पेड़ में बहुत सारी शाखाएं नीचे की तरफ लटकी हुई होती हैं, जिन्हें देवी सावित्री का रूप माना जाता है. यही वजह है कि इस वृक्ष की पूजा से सभी मनोकामनाएं बहुत ही जल्दी पूरी हो जाती है. अग्नि पुराण के अनुसार, बरगद उत्सर्जन को दर्शाता है. इसलिए, संतान प्राप्ति के लिए भी महिलाएं इस वृक्ष की पूजा करती हैं. माना जाता है कि वट वृक्ष की छांव में ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन देवी सावित्री ने अपने पति को पुनः जीवित किया था. तभी से इस दिन वट वृक्ष की पूजा (vat savitri puja 2022) की जाती है. 

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मान्यताओं के आधार पर हिंदू धर्म में महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए इस दिन बरगद के वृक्षों की पूजा करती हैं. इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण ने इसी वृक्ष के पत्ते पर मार्कण्डेय ऋषि को दर्शन दिए थे. इसके साथ ही बरगद को साक्षात शिव भी कहा गया है. कहा जाता है कि बरगद को देखना शिव के दर्शन करने के (Vat savitri 2022 banyan tree religious importance) बराबर है. 

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बरगद के वृक्ष का वैज्ञानिक महत्व
धार्मिक आस्थाओं के साथ ही ये वृक्ष पर्यावरण संरक्षण में भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बरगद के पेड़ और इसकी पत्तियों में कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने की सबसे ज्यादा क्षमता होती है. पीपल के समान ही ये वृक्ष भी ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं. कहा जाता है कि एक हरा-भरा बरगद का पेड़ 20 घंटे से भी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन देता है. इसलिए, बरगद का वृक्ष पर्यावरण के लिए किसी वरदान (Vat savitri 2022 banyan tree scientific importance) से कम नहीं है.