Vasupujya Bhagwan Aarti: वासुपूज्य भगवान की करेंगे ये आरती, समृद्धि होगी प्राप्त और धन-धान्य की नहीं आएगी कमी
वासुपूज्य भगवान (vasupujya bhagwan) जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर हैं. उनकी आरती को सुनने से इंसान को मानसिक विक्षोभ से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही उसमें दयाभाव जैसे गुणों (vasupujya bhagwan 12th trithankar aarti) का विकास होता है.
नई दिल्ली:
वासुपूज्य भगवान (vasupujya bhagwan) जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर हैं. उनका जन्म चम्पापुरी के राजपरिवार में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुआ था. इनके पिता का नाम वासुपुज्य राजा और माता का नाम जयावती था. भगवान वासुपूज्य की आरती (vasupujya bhagwan jain aarti) भक्तों द्वारा जीवन में अच्छे स्वास्थ्य, धन-धान्य और समृद्धि के लिए की जाती है. माना जाता है कि यदि कोई भक्त अपने ह्रदय में निर्मल स्वरूप को बिठाकर भगवान वासुपूज्य की आरती (vasupujya bhagwan best jain aarti) का पठन-पाठन करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और ह्रदय पावन और शुद्ध हो जाता है.
वासुपूज्य भगवान की आरती को सुनने से इंसान को मानसिक विक्षोभ से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही उसमें दयाभाव जैसे गुणों (vasupujya bhagwan 12th trithankar aarti) का विकास होता है.
वासुपूज्य भगवान की आरती (vasupujya bhagwan aarti hindi lyrics)
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।ॐ जय.।।
चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे। स्वामी धन्य......
जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।।1।। ॐ जय...
बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा। स्वामी महाव्रत......
प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।।2।। ॐ जय...
गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवलज्ञान लिया। स्वामी.......
चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया ।।3।। ॐ जय...
वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर। स्वामी......
बारहवें तीर्थंकर स्वामी, है तुम नाम अमर ।।4।। ॐ जय...
जो कोई तुमको सुमिरे प्रभु जी, सुख सम्पति पावे। स्वामी......
पूजन वंदन करके स्वामी, वंदित हो जावे ।।5।। ॐ जय...
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।ॐ जय.।।
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