Sheetalnath Bhagwan Aarti: शाीतलनाथ भगवान की रोजाना करेंगे ये आरती, क्रोध और अभिमान पर होगी विजय प्राप्ति
भगवान शीतलनाथ (sheetalnath bhagwan) जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर हैं. भगवान शीतलनाथ जी धैर्य और क्षमा के साक्षात् प्रतीक हैं. इसलिए, श्री शीतलनाथ आरती (sheetalnath bhagwan 10th trithankar aarti) को करके अनुयायियों द्वारा अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है.
नई दिल्ली:
भगवान शीतलनाथ (sheetalnath bhagwan) जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर हैं. भगवान शीतलनाथ का जन्म भद्रिकापुर में इक्ष्वाकु वंश के राजा दृढ़रथ की पत्नी माता सुनंदा के गर्भ से माघ मास कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था. इनका वर्ण सुवर्ण जबकि चिह्न कल्प वृक्ष था. उनकी आरती सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देती है. कई जैन धर्मावलंबियों के अनुसार भगवान शीतलनाथ की आरती क्रोध, अभिमान और छल जैसी कुरीतियों पर विजय पाने (aarti bhagwan sheetalnath) के लिए की जाती है. भगवान शीतलनाथ जी धैर्य और क्षमा के साक्षात् प्रतीक हैं. इसलिए, श्री शीतलनाथ आरती (sheetalnath bhagwan 10th trithankar aarti) को करके अनुयायियों द्वारा अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है.
शीतलनाथ भगवान की आरती (bhagvan sheetalnath aarti)
ॐ जय शीतलनाथ स्वामी,
स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी।
घृत दीपक से करू आरती,
घृत दीपक से करू आरती।
तुम अंतरयामी,
ॐ जयशीतलनाथ स्वामी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
भदिदलपुर में जनम लिया प्रभु,
दृढरथ पितु नामी,
दृढरथ पितु नामी।
मात सुनन्दा के नन्दा तुम,
शिवपथ के स्वामी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
जन्म समय इन्द्रो ने,
उत्सव खूब किया,
स्वामी उत्सव खूबकिया ।
मेरु सुदर्शन ऊपर,
अभिषेक खूब किया॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
पंच कल्याणक अधिपति,
होते तीर्थंकर,
स्वामी होते तीर्थंकर ।
तुम दसवे तीर्थंकर स्वामी,
हो प्रभु क्षेमंकर॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
अपने पूजक निन्दक केप्रति,
तुम हो वैरागी,
स्वामी तुम हो वैरागी ।
केवल चित्त पवित्र करन नित,
तुमपूजे रागी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
पाप प्रणाशक सुखकारक,
तेरे वचन प्रभो,
स्वामी तेरे वचन प्रभो।
आत्मा को शीतलता शाश्वत,
दे तब कथन विभो॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
जिनवर प्रतिमा जिनवर जैसी,
हम यह मान रहे,
स्वामी हम यह मान रहे।
प्रभो चंदानामती तब आरती,
भाव दुःख हान करें॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
ॐ जय शीतलनाथ स्वामी,
स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी।
घृत दीपक से करू आरती,
घृत दीपक से करू आरती।
तुम अंतरयामी,
ॐ जयशीतलनाथ स्वामी॥
॥ ॐ जय शीतलनाथ स्वामी...॥
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