रांची, 21 जुलाई (आईएएनएस)। रांची की धरती पर 15 नवंबर, 1963 को जब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) को राष्ट्र को समर्पित किया था, तब इसे मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज कहा गया। इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने देश की औद्योगिक आत्मनिर्भरता का सपना साकार किया। कोयला, इस्पात, रक्षा, अंतरिक्ष और खनन क्षेत्र में एचईसी की मशीनें और तकनीक देश की रीढ़ बनीं। लेकिन कभी औद्योगिक स्वाभिमान का प्रतीक रही यह कंपनी आज गंभीर आर्थिक संकट में फंसी है।
हालत यह है कि कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे तंग आकर उन्हें सोमवार को सड़क पर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करना पड़ा। कई महीनों से वेतन और भत्ते न मिलने से नाराज कर्मियों ने प्रबंधन और सरकार की चुप्पी पर विरोध जताया। कर्मचारियों ने कहा कि वे गंभीर आर्थिक संकट में फंसे हैं। भविष्य निधि (पीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) जैसी सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। फीस जमा न करने के कारण उनके बच्चों को स्कूल से निकाला जा रहा है। इसके बावजूद प्रबंधन वेतन भुगतान की दिशा में पहल नहीं कर रहा।
प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने बताया कि उन्होंने पहले कई बार शांतिपूर्ण धरना दिया। ज्ञापन सौंपे और अधिकारियों से गुहार भी लगाई। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब मजबूरी में उन्हें अर्धनग्न होकर सड़क पर उतरना पड़ा है। कर्मियों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आमरण अनशन करेंगे। राजधानी में जुलूस भी निकालेंगे। प्रदर्शन के दौरान कर्मियों ने जमकर नारेबाजी की और कहा कि अब धैर्य टूट रहा है।
हाल में एचईसी के पुनरुद्धार के लिए दिल्ली में केंद्रीय संसदीय समिति की बैठक हुई थी। इस दौरान एचईसी को आर्थिक मदद देकर पुनरुद्धार करने की सहमति बनी थी। इसके तहत कंपनी की मशीनों के आधुनिकीकरण और कर्मचारियों को नियमित वेतन देने पर चर्चा हुई थी।
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