रामनगर विधानसभा सीट : चुनाव दर चुनाव मजबूत हुई भाजपा की जड़ें, 2025 में जनता का रुख क्या?

रामनगर विधानसभा सीट : चुनाव दर चुनाव मजबूत हुई भाजपा की जड़ें, 2025 में जनता का रुख क्या?

रामनगर विधानसभा सीट : चुनाव दर चुनाव मजबूत हुई भाजपा की जड़ें, 2025 में जनता का रुख क्या?

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IANS
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रामनगर विधानसभा सीट: चुनाव दर चुनाव मजबूत हुई भाजपा की जड़ें, 2025 में जनता का रुख क्या?

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

रामनगर, 30 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार राज्य के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक रामनगर क्षेत्र है। रामनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट है। यह पश्चिम चंपारण जिले में स्थित है और वाल्मीकि नगर संसदीय सीट के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। रामनगर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने बीते तीन दशकों में जिस प्रकार से राजनीतिक पकड़ बनाई है, वह उसकी जनता पर पकड़ और संगठन शक्ति का प्रमाण है।

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2010 से 2020 तक लगातार तीन बार भाजपा की भागीरथी देवी ने रामनगर में जीत की हैट्रिक लगाकर यह सिद्ध कर दिया कि क्षेत्र की जनता का भरोसा भाजपा की नीति, नीयत और नेतृत्व पर लगातार कायम है। भाजपा ने यहां जमीनी स्तर पर मजबूत संगठनात्मक आधार खड़ा किया है। इसके साथ ही, भागीरथी देवी की लगातार तीन चुनावों में जीत उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता को भी दर्शाती है।

इस सीट पर भाजपा ने पहली बार 1990 में जीत दर्ज की थी, जब चंद्र मोहन राय ने कांग्रेस के लंबे समय से चले आ रहे दबदबे को तोड़ते हुए विधायक के तौर पर जीत दर्ज की। इसके बाद 2005 में एक बार फिर चंद्र मोहन राय ने जीत दर्ज कर भाजपा को मजबूती दी।

1995 में जनता दल को मिली एकमात्र जीत और कांग्रेस को 1985 में यहां मिली आखिरी सफलता के बाद से रामनगर में भाजपा का वर्चस्व एक राजनीतिक परंपरा बन चुका है। रामनगर में भाजपा की सात बार की जीत ने यह सिद्ध कर दिया है कि यह पार्टी न केवल जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने में सफल रही है।

1962 में एक सामान्य सीट के रूप में अस्तित्व में आया यह निर्वाचन क्षेत्र 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद आरक्षित श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था, जिसका प्रभाव 2010 के विधानसभा चुनाव से देखा गया। 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 2,95,933 पंजीकृत मतदाता थे और 426 मतदान केंद्र बनाए गए थे। यहां मतदान प्रतिशत 64.41 रहा था। हालांकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, लेकिन इसके सामाजिक ताने-बाने में जातीय समीकरण बेहद निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

परंपरागत रूप से यहां राजपूत समुदाय का प्रभाव रहा है, जबकि ब्राह्मण, वैश्य, यादव, मुस्लिम और दलित मतदाता भी चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा थारू और अन्य आदिवासी समुदायों की उपस्थिति भी निर्णायक मानी जाती है, हालांकि अब तक इनका वोट विभाजित रहा है। रामनगर मुख्यतः एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां केवल 19.40 प्रतिशत मतदाता शहरी हैं।

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो रामनगर में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। शुरुआती दौर में कांग्रेस का वर्चस्व रहा, जिसने 1967 से 1985 तक लगातार छह बार जीत दर्ज की। 1990 के दशक में राजनीतिक समीकरण बदले और भाजपा इस क्षेत्र में उभरती ताकत बनकर सामने आई। 1990 में पहली बार जीत हासिल करने के बाद भाजपा ने 2000 से लगातार छह चुनाव जीते हैं, जिससे उसकी कुल जीत की संख्या सात हो चुकी है। इसके अलावा 1962 में स्वतंत्र पार्टी और 1995 में जनता दल ने एक-एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी।

रामनगर न सिर्फ राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां स्थित सुमेश्वर का ऐतिहासिक किला, जो समुद्र तल से 2,884 फीट की ऊंचाई पर नेपाल सीमा से लगे सोमेश्वर की पहाड़ी पर स्थित है। यह दर्शनीय स्थलों में गिना जाता है। यह किला आज भले ही खंडहर में तब्दील हो चुका हो, लेकिन यहां पत्थरों को काटकर बनाए गए कुंड और हिमालय की धौलागिरि, गोसाईंनाथ एवं गौरीशंकर पर्वत श्रृंखलाओं का विहंगम दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करता है।

इसी प्रखंड में स्थित नीलकंठ नर्मदेश्वर मंदिर पूरे उत्तर बिहार में प्रसिद्ध है। सावन माह में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए जुटते हैं। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। संकीर्तन संघ द्वारा मंदिर की देखरेख की जाती है और श्रावण मास में विशेष व्यवस्था की जाती है। राज शिव मंदिर के नाम से विख्यात यह स्थल न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि सांस्कृतिक उत्सवों का भी प्रमुख स्थल बन चुका है। सावन और दशहरा के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है। वर्ष भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन श्रावण मास में यहां विशेष आस्था देखी जाती है। मान्यता है कि यहां दिल से मांगी गई मन्नत भोलेनाथ अवश्य पूरी करते हैं।

राजनीति और संस्कृति का यह संगम रामनगर को सामाजिक और धार्मिक चेतना का केंद्र भी बनाता है। आगामी चुनावों में जातीय संतुलन, सामाजिक समीकरण और धार्मिक आस्थाएं, सभी मिलकर एक बार फिर से इस सीट पर दिलचस्प मुकाबले की भूमिका तैयार कर रहे हैं।

--आईएएनएस

डीसीएच/एएस

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