राज्यसभा में प्रधानमंत्री से चर्चा का जवाब मांग रहे विपक्ष का सदन से वॉकआउट

राज्यसभा में प्रधानमंत्री से चर्चा का जवाब मांग रहे विपक्ष का सदन से वॉकआउट

राज्यसभा में प्रधानमंत्री से चर्चा का जवाब मांग रहे विपक्ष का सदन से वॉकआउट

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IANS
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New Delhi: Monsoon Session of the Parliament (Lok Sabha)

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को राज्यसभा में बोलने के लिए खड़े हुए तो विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत के सफल एवं निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर पर आयोजित विशेष चर्चा का जवाब देने के लिए सदन में आए थे।

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विपक्ष का कहना था कि लोकसभा की ही तरह राज्यसभा में भी चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना चाहिए। अपनी इसी मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने जमकर नारेबाजी की।

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह कहीं भी तय नहीं किया गया था कि प्रधानमंत्री इस मामले पर सदन में चर्चा का जवाब देंगे। नारेबाजी कर रहे विपक्षी सांसद अपने स्थानों से खड़े होकर आ गए।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सदन की यह पहले से ही मांग थी कि चर्चा के उपरांत प्रधानमंत्री सदन में जवाब देंगे। नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री से हमारे कई सवाल हैं, चर्चा के दौरान यह सवाल पूछे गए हैं। प्रधानमंत्री यहां हैं, इसके बावजूद वह सदन में जवाब देने के लिए नहीं आए। यह सदन का अपमान है।

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर आयोजित विशेष चर्चा का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री को आना चाहिए। जब यह मांग नहीं मानी गई तो नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उन्हें हर बार टोका जाता है।

इसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में यह फैसला लिया गया था कि चर्चा आप जितनी चाहें, उतनी होगी। लेकिन, चर्चा का जवाब कौन देगा, यह सरकार तय करेगी।

केंद्रीय गृह मंत्री के इस बयान के बाद भी विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा। प्रधानमंत्री से चर्चा का जवाब देने की मांग कर रहे विपक्षी सांसदों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना था कि उन्हें मालूम है कि ये लोग सदन से क्यों जा रहे हैं। इन्होंने अपने वोट बैंक के खातिर आतंकवाद के खिलाफ कुछ नहीं किया। सदन में मल्लिकार्जुन खड़गे यह मुद्दा उठा रहे हैं, जबकि उनको तो उनकी पार्टी ही महत्वपूर्ण विषयों पर बोलने का अवसर नहीं देती।

--आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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