रात में हल्की रोशनी भी दिल के लिए खतरनाक: रिसर्च में खुलासा

रात में हल्की रोशनी भी दिल के लिए खतरनाक: रिसर्च में खुलासा

रात में हल्की रोशनी भी दिल के लिए खतरनाक: रिसर्च में खुलासा

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IANS
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New York, July 9 (IANS) Dear parents, if you want your child to be mentally fit, Read on. Inadequate nighttime sleep alters several aspects of children's emotional health, warn researchers.

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 19 नवंबर (आईएएनएस)। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च में चौंकाने वाला दावा किया है। वो ये कि रात के समय हल्की रोशनी का भी लगातार सामना करना दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। यह अध्ययन छोटा जरूर है, लेकिन इसके नतीजे बेहद गंभीर और दूरगामी माने जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे दिमाग और नींद के पैटर्न पर रात की रोशनी के असर को अब तक जितनी गंभीरता से नहीं समझा गया।

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3 नवंबर, 2025 को प्रकाशित इस रिसर्च के लिए टीम ने दो तरीकों का इस्तेमाल किया: पहला ब्रेन इमेजिंग, यानी दिमाग की स्कैनिंग, और दूसरा सैटेलाइट डाटा। इसके जरिए यह मापा गया कि प्रतिभागियों के इलाके में रात के समय कितनी रोशनी रहती है।

इन दोनों आंकड़ों को जोड़कर वैज्ञानिकों ने यह संबंध निकाला कि जिन लोगों के आस-पास रात में ज्यादा रोशनी रहती है, उनके दिल पर भार बढ़ता है, और लंबे समय में हार्ट डिजीज का खतरा भी ज्यादा दिखाई देता है।

रिसर्च का तर्क यह है कि हमारा शरीर एक प्राकृतिक ‘सर्केडियन रिद्म’ यानी जैविक घड़ी पर चलता है, जो दिन और रात की रोशनी से नियंत्रित होती है। रात में अगर रोशनी हो, चाहे वह स्ट्रीट लाइट की हल्की चमक हो, कमरे में जलता नाइट लैम्प हो, मोबाइल स्क्रीन की रोशनी हो या खिड़की से आती आस-पड़ोस की सफेद रोशनी—ये सभी चीजें दिमाग को भ्रमित करती हैं। शरीर को लगता है कि अभी रात नहीं हुई है। इससे नींद की गुणवत्ता गिरती है, हार्मोन असंतुलित होते हैं, और दिल पर लगातार दबाव पड़ता है।

हार्वर्ड टीम ने पाया कि जिन व्यक्तियों के दिमाग में तनाव से जुड़े हिस्सों की गतिविधि ज्यादा थी, वे वही लोग थे जो रात में अधिक कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आते थे। इस संबंध को सैटेलाइट डाटा से जोड़कर देखा गया। पाया गया कि जिन इलाकों में रात में उजाला अधिक था, वहां हृदय रोगों के संकेत भी ज्यादा पाए गए।

रिसर्चर कहते हैं कि समस्या केवल “तेज रोशनी” की नहीं है। हल्की, मामूली, लगभग नजर नहीं आने वाली रोशनी भी लम्बे समय में नुकसान कर सकती है। यह स्थिति वैसी है जैसे रोज कुछ बूंदें जहरीला पानी पीने का तुरंत असर नहीं दिखता, लेकिन वक्त के साथ शरीर बीमार होने लगता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अध्ययन छोटा था और भविष्य में बड़े पैमाने पर शोध की जरूरत है। लेकिन शुरुआती नतीजे इतने मजबूत हैं कि रोजमर्रा की जिंदगी में सावधानी बरतनी चाहिए। टीम ने कुछ सुझाव भी दिए।

सलाह दी कि रात में कमरे को जितना हो सके अंधेरा रखें। बेडरूम में मोबाइल स्क्रीन, लैपटॉप और टीवी से बचें। अगर नाइट लैम्प जरूरी हो, तो बहुत हल्की और गर्म (पीली) रोशनी इस्तेमाल करें। बाहर की स्ट्रीट लाइट की चमक रोकने के लिए मोटे पर्दे लगाएं।

दिल की बीमारी को आमतौर पर खान-पान, तनाव, धूम्रपान और बैठकर काम करने वाली जीवनशैली से जोड़ा जाता है। लेकिन अब यह शोध बताता है कि नींद के माहौल में रोशनी भी एक बड़ी, छिपी हुई वजह हो सकती है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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