पुण्यतिथि : जिससे कांप उठे थे अंग्रेज, उधम सिंह ने जलियांवाला बाग का ऐसे लिया था बदला

पुण्यतिथि : जिससे कांप उठे थे अंग्रेज, उधम सिंह ने जलियांवाला बाग का ऐसे लिया था बदला

पुण्यतिथि : जिससे कांप उठे थे अंग्रेज, उधम सिंह ने जलियांवाला बाग का ऐसे लिया था बदला

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IANS
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पुण्यतिथि : जिस बदले से कांप उठे थे अंग्रेज, उधम सिंह ने जलियांवाला बाग का किया था हिसाब

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी और क्रांतिकारी उधम सिंह को 31 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश याद करता है। इस क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी पर 31 जुलाई, 1940 को लंदन की पेंटनविले जेल में गवर्नर जनरल माइकल ओ डायर की हत्या का आरोप लगाया गया और उन्हें फांसी दे दी गई। हर साल 31 जुलाई को देशभर के लोग उधम सिंह को श्रद्धांजलि देते हैं।

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26 दिसंबर 1899 को संगरूर के सुनाम में जन्मे उधम सिंह के पिता सरदार टहल सिंह एक किसान थे और रेलवे चौकीदार के रूप में भी काम करते थे। उधम सिंह का बचपन का नाम शेर सिंह था। उन्होंने छोटी उम्र में ही अपने पिता को खो दिया। पिता की मृत्यु के बाद उनका और उनके बड़े भाई का पालन-पोषण एक अनाथालय में हुआ। उन्हें उनके बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ अमृतसर के केंद्रीय खालसा अनाथालय में ले जाया गया। यहीं उधम सिंह ने अपनी शिक्षा प्राप्त की।

उधम सिंह स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी संगठन से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें ब्रिटिश सरकार ने कई बार जेल भेजा।

अनाथालय में उधम सिंह की जिंदगी चल ही रही थी कि 1917 में उनके बड़े भाई मुक्ता सिंह का देहांत हो गया। इससे उधम सिंह पूरी तरह टूट गए। इन हालातों में उन्होंने 1919 में अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में पूरी तरह सक्रिय हो गए।

उस दौर में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ, जिसने उधम सिंह को भी गहरा दुख पहुंचाया। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में ब्रिगेडियर जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे स्त्री, पुरुष और बच्चे मार दिए गए। गोलीबारी में बहुत से लोग जान बचाने के लिए वहां बने कुएं में कूदे, लेकिन जिंदा बाहर नहीं निकले।

जलियांवाला बाग हत्याकांड से उपजे क्रोध ने उधम सिंह को क्रांतिकारी साहित्य के प्रचार-प्रसार में पंजाब में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। 1927 में हथियार रखने और देशद्रोही साहित्य पढ़ने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई, जिन्होंने उनके मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। रिहाई के बाद उधम सिंह ने यूरोप का भ्रमण किया और अपने क्रांतिकारी कार्यों को जारी रखा।

लंदन के कैक्सटोन हॉल में एक भाषण के दौरान उधम सिंह ने एक किताब में छिपाकर लाए रिवॉल्वर से माइकल ओ डायर को दो गोली मारी, जिससे उसकी मौत हो गई।

हालांकि, जलियांवाला बाग में गोली चलाने का आदेश देने वाला ब्रिगेडियर जनरल आरईएच डायर 1927 में ही मर चुका था, लेकिन उधम सिंह ने माइकल ओ डायर की हत्या कर देश के उस घाव का प्रतिशोध लिया। मुकदमे और अपील खारिज होने के बाद 31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को लंदन की एक जेल में फांसी दे दी गई।

इस तरह उधम सिंह ने अपने बलिदान से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अमिट छाप छोड़ी।

--आईएएनएस

डीसीएच/जीकेटी

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