पटना, 11 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार में चुनाव से तुरंत पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण का मामला तूल पकड़ा हुआ है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर विपक्ष के रुख को लेकर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने निशाना साधा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली और पटना वाले राजकुमार को कुछ पता नहीं है।
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले को चुनौती देने वाले मामले में कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग आधार कार्ड, मतदाता फोटो पहचान पत्र और राशन कार्ड को मतदाता पंजीकरण के लिए वैध दस्तावेज माने। न्यायालय ने कहा कि 11 स्वीकार्य दस्तावेजों की आधिकारिक सूची संपूर्ण नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को विपक्ष के कुछ नेता अपनी जीत बता रहे हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट ने सलाह दी है, लेकिन संविधान को दिखाने वाले लोगों को यह पता नहीं है। निर्वाचन आयोग ने जो फॉर्म दिया है, उसमें पहले से आधार कार्ड और मोबाइल नंबर मांगा जा रहा है। माता-पिता और पत्नी का एपिक नंबर मांगा जा रहा है। जन्मतिथि मांगी जा रही है, इसमें कोई नई बात नहीं है। निर्वाचन आयोग सभी से यह मांग ही रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर विपक्ष को जीत मानने पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, जिसे पता ही नहीं, उसके बारे में क्या बात करना? 9 जुलाई को बिहार में 52 प्रतिशत लोगों ने जो फॉर्म दिया है, चार करोड़ से अधिक लोगों ने अपना फॉर्म जमा भी करवा दिया है, लेकिन विपक्ष को पता नहीं है। वे लोग सिर्फ राजकुमार हैं, एक दिल्ली वाले और एक पटना वाले, इससे ज्यादा कुछ नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को जोड़ने की सलाह दी है, लेकिन विपक्ष को पता ही नहीं है कि यह पहले से ही जुड़ा हुआ है।
उन्होंने बताया, पिछले 8 दिनों में पूर्णिया और किशनगंज में 10 गुना अधिक लोगों ने आवासीय प्रमाण पत्र के लिए अप्लाई किया है, जिसकी राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग जांच कर रहे हैं। अचानक आवासीय प्रमाण पत्र लेने के लिए इतने सारे लोग कहां से आए? कहीं यह बांग्लादेशी तो नहीं? इसकी जांच होगी।
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