मुंबई, 11 जून (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमंडल के दौरे को विफल बताया। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से प्रतिनिधिमंडल भेजा गया था, हम उसमें सफल नहीं हुए हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, मैं प्रतिनिधिमंडल को भारत की बात रखने के लिए विदेश भेजने को सही कदम मानता हूं। हर लड़ाई के बाद सभी पार्टियों को एकजुट होकर भारत की बात करनी चाहिए। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत प्रतिनिधिमंडल को जिस उद्देश्य से भेजा गया था, क्या हम उसमें सफल रहे हैं। मुझे लगता है कि हम उस उद्देश्य में बिल्कुल भी सफल नहीं हुए। डेलिगेशन बिल्कुल ही विफल रहा।
उन्होंने कहा, इसमें सांसदों की कोई गलती नहीं है। सांसदों ने तो अपना काम किया, लेकिन इसमें विदेश मंत्रालय की गलती है, क्योंकि वे अच्छे से मीटिंग नहीं करवा पाए। सफलता मापने का क्या पैमाना होता है? क्या आप विदेश में जाकर बतौर डेलिगेशन किसी राष्ट्र के प्रमुख से मिले? 33 देशों में से सिर्फ एक या दो देशों को छोड़ दिया जाए तो यह पता चलता है कि हमने किसी भी देश के राष्ट्रीय प्रमुख से बात नहीं की है। विदेशी मीडिया ने कवर नहीं किया। किसी भी बड़े व्यक्ति से नहीं मिले और दुनिया भर में भारत की स्थिति अलग दिखाई दे रही है। यही कारण है कि विदेश मंत्रालय के लोगों ने किसी भी बड़े व्यक्ति से हमारी मीटिंग नहीं करवाई।
पृथ्वीराज चव्हाण ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग पर कहा, मेरा मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दो से तीन दिनों का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। इसके पीछे तर्क यह है कि अब तक जितनी भी लड़ाइयां हुई हैं, चाहे वह 1947, 1962, 1965, 1971 और 1999 की हो। साल 1947 में पंडित नेहरू अंतरिम प्रधानमंत्री थे और उस समय नेहरू ने संविधान सभा में अपनी बात रखी थी। 1962 में संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने नेहरू से विशेष सत्र की मांग की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने उनकी बात को मानते हुए विशेष सत्र बुलाया था। इसी विशेष सत्र के चलते हमारे रक्षा मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था।
कांग्रेस नेता ने कहा, 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ तो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इसके बावजूद उन्होंने देश के सामने अपनी बात रखी। इंदिरा गांधी के समय तो पूरा देश उनके साथ था। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष के नेताओं के साथ बैठक की थी। अब प्रधानमंत्री मोदी विशेष संसद सत्र को बुलाने की मांग से क्यों भाग रहे हैं? मुझे यह नहीं समझ आता है और इसलिए मैं यह मांग कर रहा हूं कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, कारगिल की लड़ाई के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने तुरंत ही कारगिल इंक्वायरी कमेटी बिठाई थी। क्या मोदी सरकार पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर इंक्वायरी कमेटी बनाएगी? क्या सरकार उसकी रिपोर्ट संसद में पेश करेगी? क्या सरकार यह बताएगी कि 7 तारीख की सुबह क्या हुआ था? क्यों पाकिस्तान जश्न मना रहा है और यह कह रहा है कि हमने भारत के विमान को गिराया है। प्रधानमंत्री इन सब पर जवाब कब देंगे।
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