‘प्रेम करें हम ऐसे, लेकिन...' गोविंद विनायक करंदीकर मराठी साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे

‘प्रेम करें हम ऐसे, लेकिन...' गोविंद विनायक करंदीकर मराठी साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे

‘प्रेम करें हम ऐसे, लेकिन...' गोविंद विनायक करंदीकर मराठी साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे

author-image
IANS
New Update
‘प्रेम करें हम ऐसे, लेकिन...’गोविंद विनायक करंदीकर मराठी साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे'

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)। इश्क को पूरी तरह से अनुभव करने के लिए मन और भय को जल्दबाजी से मुक्त करना होगा। गोविंद विनायक करंदीकर मराठी साहित्य के दिग्गज साहित्यकार, जिनकी कविता से ली गई यह लाइनें आज के दौर में उन युवाओं पर सटीक बैठती हैं जो इश्क तो कर बैठें, लेकिन, अंजाम के डर से पीछे हट जाते हैं।

Advertisment

उनकी कविताओं में प्रेम का वह भाव मिलता है, जिसमें प्रेम में पीछे हटने का सवाल नहीं होता है। इस तरह प्रेम करें, लेकिन यह समझे बिना कि हम प्रेम कर रहे हैं।

गोविंद विनायक करंदीकर, जिन्हें विंदा करंदीकर के नाम से अधिक जाना जाता है, मराठी साहित्य के एक प्रमुख स्तंभ थे। उनका जन्म 23 अगस्त 1918 को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के धालवली गांव में हुआ था और उनका निधन 14 मार्च 2010 को मुंबई में हुआ।

वे एक कवि, लेखक, अनुवादक और समीक्षक के रूप में विख्यात थे, जिन्होंने मराठी साहित्य को अपनी प्रयोगशीलता और गहन विचारों से समृद्ध किया। उनकी कविताओं में आज का दौर साफतौर पर देखने को मिलता है। उन्होंने सभी वर्ग के लिए कविताएं लिखीं। उनकी कविता देणाऱ्याने देत जावे मराठी साहित्य में विशेष रूप से लोकप्रिय है, जो मानवीय उदारता और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है।

उनकी बाल कविताएं, जैसे अजबखाना संग्रह, बच्चों के मन को छूने के साथ-साथ प्रौढ़ों के लिए भी विचारणीय हैं।

विंदा करंदीकर को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें 2003 में उनकी कृति अष्टदर्शने के लिए भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान, ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें महाराष्ट्र साहित्य परिषद पुरस्कार, कुसुमाग्रज पुरस्कार, कबीर सम्मान, और जनस्थान पुरस्कार जैसे कई अन्य पुरस्कार भी मिले।

उन्होंने कोल्हापूर में अपनी शिक्षा पूरी की। हैदराबाद मुक्ति संग्राम में उनकी सक्रिय भागीदारी रही, जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

उनके लेखन में कोकणी संस्कृति और वैश्विक दृष्टिकोण का अनूठा संगम दिखता है। विंदा करंदीकर मराठी साहित्य के एक ऐसे रचनाकार थे, जिन्होंने कविता, निबंध, अनुवाद, और समीक्षा के माध्यम से साहित्य को नई ऊंचाइयां दीं।

उनकी रचनाएं आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं और साहित्यिक चर्चाओं में जीवित हैं। उनकी प्रयोगशीलता और गहन चिंतन ने उन्हें मराठी साहित्य में अमर बना दिया।

--आईएएनएस

डीकेएम/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment