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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। दीपावली के बाद देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। आसमान में धुंध छा जाती है, सांस लेना मुश्किल हो जाता है और सबसे ज्यादा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, खांसी, जुकाम और सांस की तकलीफें आम हो जाती हैं।
जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो उस हवा के साथ सूक्ष्म जहरीले कण हमारे शरीर में चले जाते हैं। ये कण शरीर में इन्फ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, जिससे इम्युनिटी कमजोर होती है और सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अगर हम अपने खाने में कुछ चीजों को शामिल करें, तो इस खतरे से काफी हद तक खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी होती हैं जो शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर फेफड़ों की सेहत को बेहतर कर सकती हैं।
हल्दी: हल्दी को आयुर्वेद में हर रोग की दवा कहा गया है। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है, जो एक बेहद शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है। जब प्रदूषण के कारण हमारे फेफड़ों में सूजन होती है, तो करक्यूमिन उस सूजन को कम करने में मदद करता है। अगर इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शरीर इसे बहुत बेहतर तरीके से सोख पाता है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि काली मिर्च करक्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाने में मददगार है। यही वजह है कि रात को हल्दी वाला दूध पीना या खाना बनाते समय हल्दी और काली मिर्च का इस्तेमाल करना फेफड़ों के लिए फायदेमंद होता है।
गुड़: गुड़ श्वसन प्रणाली की सफाई में कारगर है। इसमें आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में खून का बहाव सुधारते हैं और फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाते हैं। गुड़ शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है। खाना खाने के बाद इसका छोटा सा टुकड़ा लेना या सर्दी-जुकाम के दौरान इसे अदरक के साथ चबाना बहुत लाभकारी माना गया है।
खट्टे फल: संतरा, नींबू और आंवला जैसे खट्टे फल विटामिन-सी के प्रमुख स्रोत हैं। विटामिन-सी एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है और इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाता है। रोज सुबह आंवला जूस पीना, नींबू-पानी में शहद मिलाकर पीना या संतरे को नाश्ते में शामिल करना इन दिनों बेहद जरूरी है।
अदरक और तुलसी: अदरक फेफड़ों में जमी गंदगी और बलगम को बाहर निकालने में सहायक है, वहीं तुलसी को सदियों से फेफड़ों के डिटॉक्स में इस्तेमाल किया जा रहा है। अदरक-तुलसी की चाय या काढ़ा रोज दो बार पीने से न सिर्फ गले को आराम मिलता है बल्कि अंदर से भी शरीर मजबूत बनता है।
हरी पत्तेदार सब्जियां: पालक, मेथी और ब्रोकली जैसी सब्जियां बीटा-कैरोटीन, फोलेट और विटामिन-ई जैसे तत्वों से भरपूर होती हैं, जो फेफड़ों की मरम्मत करने और उनकी कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
--आईएएनएस
पीके/एएस
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