यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा : कोई नहीं तोड़ सका योगी सरकार का 'चक्रव्यूह', नकल माफिया और सॉल्वर गैंग नहीं आए नजर

यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा : कोई नहीं तोड़ सका योगी सरकार का 'चक्रव्यूह', नकल माफिया और सॉल्वर गैंग नहीं आए नजर

यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा : कोई नहीं तोड़ सका योगी सरकार का 'चक्रव्यूह', नकल माफिया और सॉल्वर गैंग नहीं आए नजर

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IANS
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Lucknow: CM Yogi Adityanath's Press conference

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

लखनऊ, 14 जून (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरक्षी नागरिक पुलिस सीधी भर्ती-2023 परीक्षा निष्पक्ष, पारदर्शी और सकुशल संपन्न कराने के लिए अभेद्य चक्रव्यूह रचा। सीएम योगी के अभेद्य चक्रव्यूह ने नकल माफिया और सॉल्वर गैंग के मंसूबों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।

इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की अहम भूमिका रही थी। इसके जरिए परीक्षा में किसी भी तरह की धांधली को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इसके अलावा न केवल प्रश्नपत्रों की सुरक्षा को मजबूत किया गया था, बल्कि उनकी गोपनीयता भी सुनिश्चित की गई थी। प्रश्नपत्रों को गोपनीय चिन्हों से सुरक्षित किया गया था और मल्टी-लेयर पैकेजिंग की गई थी ताकि किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न हो सके।

योगी सरकार के मजबूत सुरक्षा उपायों ने नकल माफियाओं के मंसूबों को विफल कर दिया और पुलिस भर्ती परीक्षा को एक सफल और निष्पक्ष आयोजन में तब्दील कर दिया। सीएम योगी की सीधी मॉनिटरिंग से देश की सबसे बड़ी परीक्षा में शुमार पुलिस भर्ती परीक्षा पूरे देश में एक मॉडल बन गई। अब देश के दूसरे राज्य भी सीएम योगी के अभेद्य चक्रव्यूह को अपना रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस सिपाही भर्ती (60,244) की परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने के लिए आधुनिक तकनीक का भरपूर प्रयोग किया था। सीएम योगी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए 15 हजार प्रश्नों का एक विशाल प्रश्न बैंक तैयार किया था, जिसे परीक्षा के दौरान रैंडमाइजेशन किया गया था। वहीं, प्रश्नपत्रों में प्रश्नों को तीन कैटेगरी में बांटा गया था।

इसमें प्रश्नों को कठिन, मध्यम और आसान श्रेणी में बांटा गया, जिसमें 30 प्रतिशत कठिन, 50 प्रतिशत मध्यम और 20 प्रतिशत आसान प्रश्न शामिल थे। इसके साथ ही परीक्षा में निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रश्नपत्र की 8 अलग-अलग सीरीज तैयार की गई थी। यह व्यवस्था इसलिए की गई थी ताकि अगल-बगल बैठे अभ्यर्थियों को अलग-अलग सीरीज के प्रश्नपत्र वितरित किए जा सकें। इससे नकल की संभावना को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था।

योगी सरकार ने परीक्षा केंद्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया था। इसके तहत सभी परीक्षा केंद्रों पर एआई सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। प्रश्न पत्रों को सुरक्षित रखने के लिए स्ट्रांग रूम/कोषागार की व्यवस्था की गई थी, जिसे सीसीटीवी और जीपीएस से लैस किया गया था। परीक्षा केंद्रों के चयन के लिए सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों को प्राथमिकता दी गई थी।

योगी सरकार ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से सभी अभ्यर्थियों का आधार द्वारा सत्यापन कराया था। वहीं, जिन अभ्यर्थियों का ऑनलाइन आधार सत्यापित नहीं हो सका, उनका केंद्र पर बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य किया गया था। परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक कैप्चर, फोटो खींचना और चेहरों की पहचान के लिए एआई सक्षम सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया गया था। प्रत्येक केंद्र पर एक कमांड कंट्रोल रूम स्थापित किया गया था, जहां से रियल-टाइम मॉनिटरिंग की गई थी। परीक्षा के संचालन के लिए केंद्र अधीक्षक, पुलिस अधिकारी, सेक्टर मजिस्ट्रेट और स्टेटिक मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई थी।

सीएम योगी के निर्देश पर बोर्ड ने परीक्षा के संचालन के दौरान कड़ी सुरक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की थी। परीक्षा के बाद सभी दस्तावेजों का निस्तारण भी इसी एसओपी के अनुसार किया गया था। इसके साथ ही ट्रांजिट सुरक्षा जीपीएस, डिजिटल लॉक और स्टोरेज केबिन कैमरा आदि की समय-समय पर समीक्षा की गई थी। इसके अलावा परीक्षा से संबंधित आंतरिक प्रक्रियाओं, परिवहन और ट्रांसशिपमेंट की भी समय-समय पर समीक्षा की गई थी।

--आईएएनएस

डीएससी/एबीएम

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