कर्नाटक : मुख्यमंत्री द्वारा अपमानित किए जाने के बाद पुलिस अधिकारी ने मांगी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

कर्नाटक : मुख्यमंत्री द्वारा अपमानित किए जाने के बाद पुलिस अधिकारी ने मांगी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

कर्नाटक : मुख्यमंत्री द्वारा अपमानित किए जाने के बाद पुलिस अधिकारी ने मांगी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

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IANS
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Additional Superintendent of Police (ASP) N.V. Barmani

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बेंगलुरु, 3 जुलाई (आईएएनएस)। कर्नाटक के धारवाड़ में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) एन.वी. बारामणी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा सार्वजनिक अपमान का हवाला देते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की है।

यह घटना 28 अप्रैल 2025 को बेलगाम में कांग्रेस पार्टी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई थी, जहां बारामणी मंच प्रभारी थे। उन्होंने अपने पत्र में बताया कि उन्होंने 1994 से 31 साल तक पुलिस विभाग में पीएसआई से लेकर एएसपी तक विभिन्न पदों पर निष्ठा से सेवा की। बेलगाम में केंद्र सरकार की मूल्य वृद्धि नीति के खिलाफ आयोजित सभा की सुरक्षा व्यवस्था उनके जिम्मे थी। उन्होंने पूरी लगन से काम किया, लेकिन मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान कुछ महिलाओं ने काले झंडे दिखाए और नारे लगाए।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने भाषण रोककर बारामणी को जोर से डांटा और उनके सामने थप्पड़ मारने की कोशिश की। बारामणी ने तुरंत पीछे हटकर खुद को बचाया, लेकिन यह घटना 10 हजार से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं, मंत्रियों, नेताओं और मीडिया के सामने हुई, जिससे उनका सार्वजनिक अपमान हुआ।

बारामणी ने बताया कि यह घटना दो दिन तक टीवी पर प्रसारित हुई, जिससे उनका और उनके परिवार का मानसिक तनाव बढ़ गया। घर में सन्नाटा छा गया, उनकी पत्नी और बच्चे रो पड़े। न तो मुख्यमंत्री, न ही प्रशासन और न ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें सांत्वना दी। उनके सहयोगियों ने भी कोई समर्थन नहीं दिखाया, जिससे उनकी पीड़ा और गहरी हो गई। लोगों ने भी उनकी स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर एक वरिष्ठ अधिकारी का यह हाल है, तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी। यह बात विभागीय बैठकों में भी झलकती थी।

बारामणी ने कहा कि वर्दी के साथ उनका भावनात्मक रिश्ता है, जिसने उन्हें सम्मान दिलाया, लेकिन इस घटना ने उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई।

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर वह खुद न्याय नहीं पा सके, तो दूसरों को कैसे न्याय दिलाएंगे।

बारामणी ने मुख्यमंत्री से अपेक्षा की थी कि वह सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाएंगे, लेकिन इस अपमान ने उन्हें गहरी चोट पहुंचाई। इस कारण उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की है। यह मामला कर्नाटक में प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।

--आईएएनएस

एसएचके/एकेजे

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