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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
टोक्यो, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। जापान और चीन के बीच अदावत चरम पर है और इसकी वजह पीएम सनाए ताकाइची की वो टिप्पणी है जो उन्होंने 7 नवंबर को डाइट के सम्मुख दी थी। उन्होंने कहा था कि ताइवान पर किसी भी तरह के हमले का जवाब जापान देगा, और वह मदद के लिए अपनी सेना भेजेगा।
तब से तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। यूएन तक बात पहुंच गई है। चीन आक्रामक है, तो जापान भी अपनी ताकत दिखाते हुए शांति की बात कर रहा है। हाल ही में रिश्ते और बिगड़े जब जापान ने अपने जेट विमानों के रडार लॉक होने की बात कही। इतना बवाल मच गया, लेकिन अब कुछ दस्तावेजों ने स्पष्ट कर दिया है कि 26 अक्टूबर को ताकाइची ने जो सदन में कहा था, वो बिल्कुल ठीक था, और उन्होंने बिना किसी सोची-समझी रणनीति के वो बयान दे डाला था।
जापान टुडे ने शनिवार को बताया कि इसका खुलासा उन सामग्रियों से होता है जो कैबिनेट सचिवालय ने तैयार किया था और गुरुवार रात को जापान के ऊपरी सदन की सदस्य कियोमी त्सुजिमोटो (मुख्य विपक्षी दल कॉन्स्टिट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी नेता) ने एक्स पर पोस्ट किया था।
7 नवंबर को निचले सदन में एक बैठक के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी के सांसद कात्सुया ओकाडा ने एक सवाल किया था। जिसके जवाब में ताकाइची ने कहा था कि ताइवान की स्थिति जापान के अस्तित्व के लिए खतरा हो सकती है, जिसके लिए देश की रक्षा बलों को कार्रवाई करनी होगी।
अब पब्लिक प्लेटफॉर्म पर जो बयान सामने आया है उसमें सहज और संयमित बयान की झलक मिलती है। इसमें कहा है, यह सरकार का लंबे समय से रुख रहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि ताइवान से जुड़े मुद्दे बातचीत के जरिए शांति से हल किए जाएंगे और सरकार तय करेगी कि किस तरह की स्थिति अस्तित्व के लिए खतरा होगी, वास्तविक स्थिति की खास शर्तों के आधार पर सभी जानकारी को ध्यान में रखते हुए।
ताकाइची ने शुरू में अपने बयानों में तैयार सामग्री के हिसाब से ही बात रखी, लेकिन जैसे-जैसे ओकाडा के साथ सवाल-जवाब आगे बढ़े, उन्होंने कहा कि ताइवान की स्थिति हमारे अस्तित्व के लिए खतरा हो सकती है, चाहे आप इसके बारे में कुछ भी सोचें। ये तथ्य पूरे बयान में कहीं नहीं था।
एक्स पर, त्सुजिमोटो ने कहा, अब यह साफ हो गया है कि ये बयान प्रधानमंत्री के निजी विचार थे और नौकरशाहों द्वारा नहीं लिखे गए थे।
बजट कमेटी की बैठक से पहले, ओकाडा ने उन सवालों की एक लिस्ट सौंपी थी जो वह सत्र के दौरान प्रधानमंत्री से पूछना चाहते थे।
ताइवान को लेकर जापान की भाषा और रवैए के बाद दोनों ही देशों में तल्खी बढ़ गई है। तब से बीजिंग ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिन्हें जवाबी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें अपने नागरिकों को जापान न जाने की चेतावनी देना और जापानी समुद्री भोजन के आयात को निलंबित करना शामिल है।
सप्ताहांत में ओकिनावा के पास प्रशांत महासागर में चीनी युद्धक विमानों द्वारा जापानी लड़ाकू विमानों पर हथियारों के रडार से निशाना साधने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव भी बढ़ गया है।
--आईएएनएस
केआर/
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