कुछ ऐसे अंजान नाम थे, जिनका बेस प्राइज़ तो 20 लाख़ था, लेकिन बोली चलती चली गई और वह करोड़पति बन गए. वैभव अरोड़ा 14 साल की उम्र में 2011 में अंबाला से चंडीगढ़ आ गए थे। वह तीन बार पंजाब की अंडर-19 टीम के कैंप में शामिल किए गए लेकिन इससे आगे नहीं जा पाए.
2018 में वह पंजाब से हिमाचल प्रदेश पहुंचे और पेशेवर क्रिकेटर बन गए. इससे पहले 2017 में बाइक से एक्सीडेंट ने उन्हें एक साल तक क्रिकेट से दूर कर दिया था. सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में दायें हाथ के इस गेंदबाज़ ने हिमाचल प्रदेश के लिए छह मैचों में 10 विकेट लिए थे.
इसके बाद ये आईपीएल टीमों की नज़रों में आ गए. कोलकाता नाइट राइडर्स, मुंबई इंडियंस, राजस्थान रॉयल्स ने उनको ट्रायल्स के लिए बुलाया था. पिछले साल केकेआर ने उन्हें 20 लाख की बेस प्राइस में अपने साथ जोड़ा था.
इससे पहले वह हालांकि आईपीएल 2020 में पंजाब किंग्स के साथ नेट बॉलर के तौर पर शामिल किए गए थे। केकेआर ने इस बार भी उन्हें अपने साथ शामिल करने की कोशिश की लेकिन, बीच में पंजाब आ गई, दोनों में लड़ाई चली लेकिन पंजाब ने उन्हें 2 करोड़ रुपये में ख़रीद लिया.
एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले महाराष्ट्र के वर्धा के सौरभ दुबे को जब सनाइज़र्स हैदराबाद ने बेस प्राइस 20 लाख रुपये में शामिल किया तो सौरभ भावुक हो गए. सौरभ ने जिस तरह हार्दिक पंड्या और उमेश यादव की लाइफ स्टाइल चेंज होते देखी, ऐसी ही अब उन्होंने अपने लिए उम्मीद की.
विदर्भ के बायें हाथ के तेज़ गेंदबाज़ सौरभ ने भी क्रिकेट खेलने की शुरुआत उमेश की तरह टेनिस बॉल से की थी. 2016 में भाई के कहने पर उन्होंने वर्धा के ब्रदरहुड क्लब को ज्वाइन किया. तब लोकल कोच रवि लंगे ने उन्हें विदर्भ के ट्रायल में जाने को कहा. सौरभ सबसे पहले लाल गेंद से गुज़दार लीग के सी डिविजिन टूर्नामेंट में खेले और सभी को प्रभावित किया.