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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
'गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।' 5 सितंबर का दिन सिर्फ तारीख तक ही सीमित नहीं है क्योंकि इस दिन होता है टीचर्स डे । टीचर का हमारे जीवन में सबसे बड़ा योगदान होता है , एक वही है जो हमें कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचाते है। गुरू ही है जो हमें सही रास्ता बताता है तो ऐसे में आज हम बात करेंगे ऐसे ही महान गुरू/कोच के बारे में जिन्होंने अपने शिष्य को सही राह दिखाते हुए देश को महान खिलाड़ी दिए और जिस खिलाड़ी पर आज पूरे देश को गर्व है।
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सचिन तेंदुलकर के (कोच) रमाकान्त अचरेकर (फ़ाइल फोटो )
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के गुरु (कोच) का नाम रमाकान्त अचरेकर है। उन्होंने प्रशिक्षक (कोच) रमाकान्त अचरेकर के सान्निध्य में ही अपने क्रिकेट जीवन का आगाज किया था। आज भारतीय क्रिकेट को सचिन के नाम से ही जाना जाता है और इसके पीछे उनके गुरु की ही मेहनत है।
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बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु पुलेला और उनके कोच गोपीचंद(फ़ाइल फोटो )
बैडमिंटन में अपना लोहा मनवाने वाली पीवी सिंधु के कोच का नाम 2001 के ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचंद है। इन्हीं से प्रभावित होकर उन्होंने बैडमिंटन को अपना करियर चुना। आज पीवी सिंधु भारत की ओर से ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं। इससे पहले वे भारत की नैशनल चैम्पियन भी रह चुकी हैं और सिंधु ने नवंबर 2016 में चीन ऑपन का खिताब भी अपने नाम किया है।
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गीता फोगाट और उनके पिता/कोच महावीर सिंह फोगाट (फ़ाइल फोटो )
गीता फोगाट एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान है जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। गीता ने 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। इसके साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया है। गीता फोगाट के कोच उनके पिता महावीर सिंह फोगाट है जिन्होंने भारत को गोल्ड मेडल दिलवाने के लिए अपनी बेटी के कोच खुद ही बन गए। अभी हाल ही में आयी दंगल फिल्म गीता फोगाट पर ही बनी थी जिसमें महावीर सिंह का किरदार आमिर खान ने निभाया था।
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मैरी कॉम भारतीय महिला मुक्केबाज (फ़ाइल फोटो )
मैरी कॉम एक भारतीय महिला मुक्केबाज के रूप में जानी जाती हैं। मैरी कॉम पांच बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं। 2012 के लंदन ओलम्पिक मे उन्होंने काँस्य पदक जीता वहीं 2010 के ऐशियाई खेलों में काँस्य तथा 2014 के एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया था। मैरी कॉम के जीवन में दो गुरु नरजित सिंह, चार्ल्स एक्टिनसन है जिन्होंने उन्हें मुक्केबाजी में महारत हासिल करवाई।
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सानिया मिर्ज़ा टेनिस प्लेयर (फ़ाइल फोटो )
टेनिस खेल को पहचान दिलानी वाली सानिया मिर्ज़ा के कोच की भूमिका उनके पिता ने ली और उनकी ट्रेनिंग का जिम्मा लिया। शुरुआत में सानिया महेश भूपति के पिता सफल टेनिस प्लेयर सी. के. भूपति की देखरेख में उसकी टेनिस शिक्षा की शुरुआत हुई।
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दीपा कर्मकार(जिम्नास्ट) कोच नंदी के साथ (फ़ाइल फोटो )
दीपा कर्मकार एक कलात्मक जिम्नास्ट हैं और ओलम्पिक में उन्होंने फाइनल में अपनी जगह बनाई और फाइनल में भी वह मामूली से अंतर (0.150) से कांस्य पदक पाने से चूक गईं और चौथे स्थान पर रहीं। उन्होंने अति कठिन माने जाने वाले प्रोदुनोवा वॉल्ट का सफल प्रदर्शन किया जिसे आज तक विश्व में गिनती की 5 जिम्नास्ट ही सफलतापूर्वक पूरा कर सकी हैं। भले ही वह कोई पदक नहीं जीत पाई लेकिन इस उपलब्धि नें उन्हें भारतभर में प्रसिद्ध कर दिया। दीपा कर्मकार के कोच नंदी की वजह से ही वो ओलम्पिक में अपने छाप छोड़ पायी थी।
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साक्षी मलिक भारतीय महिला पहलवान (फ़ाइल फोटो )
साक्षी मलिक भारतीय महिला पहलवान हैं। इन्होंने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता है। भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली वे पहली महिला पहलवान हैं। इससे पहले इन्होंने ग्लासगो में आयोजित 2014 के राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था। 2014 के विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इनके कोच का नाम ईश्वर दहिया, और नेशनल कोच - कुलदीप मलिक, कृपाशंकर बिश्नोई है।
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साइना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी (फ़ाइल फोटो )
साइना नेहवाल भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। वर्तमान में वह दुनिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाडी हैं तथा इस मुकाम तक पहुँचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला हैं। उन्हें अर्जुन पुरस्कार (2009), राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार (2009–2010) और पद्म श्री (2010) पुरुस्कारों से सम्मानित किया जा चूका है। साइना नेहवाल का प्रशिक्षण की जिम्मेदारी कोच पुलेला गोपीचंद ने ली थी। गोपीचंद ने भारत को बैडमिंटन में साइना के साथ बाद में पीवी सिंधु जैसे खिलाड़ी दिए है
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शिक्षा की रोशनी में ही अंधकार दूर होता है
'गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोष। गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष।।' कबीरदास जी ने सच ही कहा था बिना गुरू के ज्ञान का मिलना असम्भव है। बिना गुरू के सत्य और असत्य का ज्ञान नहीं होता और न ही सही और गलत में हमें अंतर करना आता। एक गुरू ही है जो हमें एक अच्छे इंसान के साथ काबिल और कामयाब शख्सियत बनाता है।