महेंद्र सिंह धोनी
मैच भले ही किसी भी परिस्थिति में हो जब तक महेंद्र सिंह धोनी क्रीज पर है, विपक्षी टीम जीत को लेकर कभी भी सुनिश्चित नहीं हो सकती। धोनी ने इसे कई बार साबित किया है। आईए, हम आपको बताते हैं धोनी के उन 'बाजीगर' पारियों के बारे में जिसने हर किसी को रोमांचित किया।
2011 वर्ल्ड में धोनी का यादगार छक्का
वर्ल्ड कप 2011: बात धोनी की हो रही है तो सबसे पहला ख्याल मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम का ही आता है। वर्ल्ड कप-2011 का फाइनल भारत और श्रीलंका के बीच खेला जा रहा था। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 275 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में टीम इंडिया की शुरुआत खराब रही। सचिन तेंदुलकर और विरेंद्र सहवाग सस्ते में पवेलियन लौट चुके थे। गौतम गंभीर और विराट कोहली ने इसके बाद कमान संभाली और स्कोर 100 के पार ले गए। कोहली 114 के स्कोर पर पवेलियन लौटे और इसके बाद सबको चौंकाते हुए खुद धोनी बल्लेबाजी के लिए आ गए। गंभीर के आउट होने के बाद उन्होंने युवराज के साथ 54 रनों की साझेदारी की और भारत को जीत को जीत दिलाई। धोनी का वह हेलीकॉप्टर छक्का आज भी सभी की जहन में है। धोनी ने 91 रनों की पारी खेली।
श्रीलंका के खिलाफ 2005 में 183 रनों की पारी (फाइल फोटो)
श्रीलंका के खिलाफ 2005 में 183 रनों की पारी: जयपुर में खेली गई धोनी की यह पारी पूरी दुनिया के लिए चेतावनी थी। भारत को श्रीलंका से 300 रनों का लक्ष्य मिला था लेकिन पहले ही ओवर में तेंदुलकर पवेलियन लौट गए। इसके बाद धोनी को बल्लेबाजी के लिए भेजा गया। उन्होंने 183 रनों की बेहतरीन पारी खेली। धोनी ने इस पारी में 15 चौके और 11 छक्के जमाए। नतीजा यह रहा भारत ने यह मैच चार ओवर पहले ही जीत लिया।
पाकिस्तान के खिलाफ 72 रनों की नाबाद पारी
लाहौर में पाकिस्तान के खिलाफ 72 रनों की नाबाद पारी: साल-2006 में पाकिस्तान दौरे के तीसरे मैच में भारत को 289 रनों का लक्ष्य मिला। तेंदुलकर के 95 रनों की बदौलत भारत को अच्छी शुरुआत मिली। लेकिन इसके बावजूद 35 ओवरों तक टीम इंडिया 190 रनों पर अपने पांच विकेट गंवा चुकी थी। इसके बाद दारोमदार एक बार फिर धोनी के कंधो पर था। धोनी ने इस मैच में 46 गेंदों में 72 रनों की नाबाद पारी खेली। इस पारी में उन्होंने 13 चौके लगाए और भारत ने यह मैच 14 गेंद शेष रहते जीत लिया। इस मैच के बाद पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने धोनी की प्रशंसा करते हुए उन्हें अपने बाल नहीं कटाने की सलाह दी थी।
लाहौर में चला धोनी का बल्ला (फाइल फोटो)
लाहौर में फिर चला धोनी का बल्ला: 2006 के ही पाकिस्तानी दौरे के पांचवें मैच में एक बार फिर धोनी का जलवा दिखा। 287 रनों का पीछा कर रही टीम इंडिया के लिए 31वें ओवर में धोनी बल्लेबाजी के लिए उतरे। तब भारत को 146 रन चाहिए थे। युवराज ने भी धोनी का बखूबी साथ दिया। आखिरी दस ओवरों में भारत को 82 रन चाहिए थे और टी-20 से पहले के जमाने में यह खासा बड़ा चैलेंज था। लेकिन धोनी ने इसे आसान कर दिया। भारत ने यह मैच 19 गेंद शेष रहते जीत लिया।
वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी ओवर में छक्का (फाइल फोटो)
वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी ओवर में छक्का: सेंट लूसिया में 2009 में बारिश से बाधित इस मैच में भारत को 22 ओवरों में 159 रनों का लक्ष्य मिला। धोनी तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए। आखिरी ओवर भारत को 11 रन चाहिए थे। पहली गेंद पर युसूफ पठान ने लेग बाई के जरिए रन लिया और धोनी को क्रीज पर भेजा। इसके बाद जेरोम टेलर की अगली गेंद पर धोनी ने छक्का जमा दिया। आखिरी के 4 रन भारत ने आसानी से बना लिए। यह संभवत: पहला मैच था जब धोनी ने आखिरी ओवर में मैच जीतने की अपने नायाब स्टाइल से दुनिया का परिचय कराया।
एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 44 रनों की पारी
एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 44 रनों की पारी: 2012 के इस मैच में भारत को 270 रनों का लक्ष्य मिला था। मैच आखिरी ओवर तक गया और अंतिम 4 गेंद पर टीम इंडिया को 12 रन बनाने थे। सामने धोनी थे। उन्होंने ओवर की तीसरी गेंद पर छक्का लगाया। अब भारत को और 6 रन चाहिए थे। कमाल देखिए, भारत ने दो गेंद शेष रहते यह मैच जीत लिया।
जिम्बॉब्वे के खिलाफ 85 रनों की पारी (फाइल फोटो)
वर्ल्ड कप में जिम्बॉब्वे के खिलाफ 85 रनों की पारी: जिम्बॉब्वे ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 287 रन बनाए। जवाब में टीम इंडिया 23 ओवर तक 92 रनों पर चार विकेट गंवा चुकी थी। इसके बाद धोनी और रैना ने कमान संभाली। रैना ने इस मैच में सेचुरी लगाई जबकि धोनी ने अपने अंदाज में छक्का लगाकर भारत को जीत दिलाई।
श्रीलंका के खिलाफ 45 रनों की नाबाद पारी (फाइल फोटो)
श्रीलंका के खिलाफ 45 रनों की नाबाद पारी: 2009 में भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच खेली गई ट्राई सीरीज का फाइनल । सामने थे श्रीलंका और भारत। पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए इस मैच में टीम इंडिया को 202 रनों का लक्ष्य मिला। भारत को आखिरी 6 गेंदों में 15 रनों की जरूरत थी और उसके 9 खिलाड़ी पवेलियन लौट चुके थे, बाकी थे तो ईशांत शर्मा और धोनी। धोनी का एक बल्ला एक बार चला और उन्होंने ने इस मैच में 52 गेंदों में 45 रनों की पारी खेली और यह मैच भारत ने दो गेंद शेष रहते जीत लिया।