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Mithun Sankranti 2023 : मिथुन संक्रांति पर भूलकर भी न करें सिलबट्टे का उपयोग, बात जानकर रह जाएंगे हैरान

दिनांक 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में गोचर करेंगे. जिससे इसे मिथुन संक्रांति कहा जाता है. मिथुन संक्रांति पर मां धरती को 3 दिनों के लिए मासिक धर्म होता है, जिसके कारण सिलबट्टे का उपयोग नहीं किया जाता है.

News Nation Bureau | Updated : 14 June 2023, 10:37:53 AM
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मिथुन संक्रांति की कथा के हिसाब से मां धरती को भी मासिक धर्म होता है और इसे धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है. 

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ऐसी मान्यता है कि सिलबट्टे में मां धरती का वास होता है. इस दौरान मिथुन संक्रांति से लेकर तीन दिनों के लिए भूदेवी को मासिक धर्म होता है. जिसके कारण सिलबट्टे का उपयोग नहीं किया जाता है. इसे रज संक्रांति भी कहा जाता है. मासिक धर्म से धरती मां मॉनसून की खेती के लिए खुद को तैयार करती हैं. उसके बाद रजस्वला के दौरान धरती मां की पूजा और शुद्धिकरण किया जाता है. 

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तीन दिन के बाद मां धरती का मासिक धर्म समाप्त हो जाता है और चौथे दिन सिलबट्टे को दूध से स्नान कराया जाता है. 

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मिथुन संक्रांति के तीन दिन बाद सिलबट्टे को स्नान कराने के बाद सिंदूर, चंदन, फल, फूल आदि चढ़ाकर पूजा करने की परंपरा है. इसके बाद सिलबट्टे का प्रयोग किया जाता है.

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मिथुन संक्रांति के दिन से ही वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है और लोग अच्छी फसल के लिए भगवान से अच्छी वर्षा की कामना भी करते हैं