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Kashi Holi 2023: चिता की भस्म से काशी में खेली गई अतरंगी होली, जानें इसके पीछे का रहस्य

बाबा की नगरी काशी अनोखे परंपराओं के लिए जाना जाता है. यहां रंगभरी एकादशी के अगले दिन यानि की आज दिन शनिवार को एक ऐसा आयोजन हुआ, जिसमें करोड़ों की भीड़ उमड़ी. यहां मणिकर्णिका घाट पर पैर रखने तक की भी कोई जगह नहीं थी. यहां एक तरफ चिताएं जलती हुई दिखीं, तो एक तरफ बुझी चिताओं की भस्म से जमकर होली खेली गई.

News Nation Bureau | Updated : 04 March 2023, 05:56:04 PM
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पूरा काशी हर-हर महादेव से गूंजता रहा. एक तरफ जहां भक्त होरी खेले अवध में कि जगह होरी खेले मसाने में गाकर झूमते दिखाई दिए. 

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काशी मात्र एक ऐसा शहर है, जहां मृत्यु पर नृत्य होता है. इस शहर में जहां श्मशान में भी फागुन मानाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि विराग और राग पर महाश्मशान पर बाबा भोलेनाथ के भक्तों ने चिता भस्म की होली खेली थी. यह परंपरा काफी युगों पुरानी है. 

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भस्म से होली खेलने के पीछे ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव मां पार्वती का गौना कराने के लिए उन्हें काशी लेकर गए थे. तब उन्होंने वहां सभी गणों के साथ रंगों से होली खेली थी. लेकिन वह श्मशान में रहने वाले प्रेत, भूत ,पिशाच, किन्नरों के साथ होली नहीं खेल पाए थे. तब रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद भगवान शिव ने श्मशान में रहने वाले भूत पिशाचों के साथ होली खेली थी.