Kanwar Yatra
सावन में भोले बाबा अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते है. वहीं कांवड़ यात्रा प्रभु राम, परशुराम, रावण और श्रवण कुमार ने की थी.
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जब भी कोई भी भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति लेकर घर से निकलता है. फिर गंगा से जल भरकर शिवलिंग पर उस जल से अभिषेक करता है. उसे कांवड़ यात्रा कहते है. कांवड़ यात्रा चार प्रकार की होती है. सामान्य कांवड़, डाक कांवड़, खड़ी कांवड़ और दांडी कांवड़ होती है. कांवड़ यात्रा के लिए आपको कांवड़ चाहिए, भगवान शिव की फोटो, श्रृंगार सामग्री, गंगाजल भरने के लिए कोई पात्र, कांवड़िए के लिए गेरुआ कपड़े और कुछ जरूरी दवाएं और पट्टी चाहिएं होती है.
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कांवड़ यात्रा के लिए आपका मन शुद्ध होना चाहिए. इस टाइम आपको शराब, सिगरेट, तंबाकू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अगर आपने एक बार कांवड़ उठा ली तो आप इसे वापस जमीन पर नहीं रख सकते है. आप इसे पेड़ या फिर स्टैंड पर रख दें. कांवड़ यात्रा नंगे पैर की जाती है. इसके साथ ही आपको भोले बाबा के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ना है.
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अगर आप कर सकते हैं तो आप अपनी यात्रा ऐसे दिन शुरु करें. कि जिस दिन आप जल अभिषेक करें तो उस दिन सोमवार, प्रदोष या फिर शिवरात्रि हो. लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे है. तो आप किसी भी दिन जल अभिषेक कर सकते हैं. क्योंकि सावन में हर दिन ही विशेष माना जाता है.