News Nation Logo

Holi 2023 : जानें कहां से शुरु हुई थी होलिका दहन की परंपरा, कहानी जानकर हो जाएंगे हैरान

होली का पर्व पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. वहीं होली से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख राजा हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की कहानी है, जब हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी थी. लेकिन भक्त प्रह्लाद नहीं जल पाए थे. इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप का वध किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं, ये सब घटनाएं उत्तरप्रदेश के झांसी में हुई थी. तो आइए आज जानते हैं, कि होलिका दहन के पीछे पूरी कहानी क्या है.

News Nation Bureau | Updated : 06 March 2023, 03:27:51 PM
holika photo 42

social Media

1

आपको बता दें, यह कहानी उत्तर प्रदेश के झांसी के एरच कस्बे से जुड़ी है. एरच राजा हिरण्यकश्यप की राजधानी थी. पहले एरच को ही दुनिया की पहली राजधानी के रूप में जाना जाता है. जहां भक्त प्रह्लाद ने जन्म लिया था. भक्त प्रह्लाद हमेशा भगवान विष्णु की उपासना करते थे. उनकी भक्ति से हिरण्यकश्यप परेशान होकर प्रह्लाद को एरच के पर्वत से नीचें फेंक दिया था. 

Holika 5

social Media

2

उसके बाद वह जब बच गए, तब उन्होंने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठ जाए. क्योंकि होलिका को यह वरदान था कि वह आग में कभी जल नहीं सकती है. लेकिन आश्चर्य तब हुआ, जब होलिका आग में जल गई और भक्त प्रह्लाद बच गए. 

holika photo11

social Media

3

इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप का वध कर दिए. आप अगर आज भी एरच जाएंगे, तो आपको वह स्थान देखने को मिलेगा, जहां होलिका आग में जली थी. अभी वहां एक मंदिर हैं, जहां होलिका और भक्त प्रह्लाद की मूर्ति रखी गई है. 

holika 5555

social Media

4

एरच ही वो स्थान है, जहां खुदाई के दौरान होलिका की मूर्ति निकली थी. इसलिए यहां होलिका बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है.