हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक दिवाली इस साल 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी. रौशनी के इस त्योहरा को भगवान राम की अयोध्या वापसी की खुशी में मनाया जाता है
इस दिन दिए जलाने का भी काफी महत्व होता है. यही कारण है कि इसे दीपों का पर्व कहा जाता है जो अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है.
दिवाली से एक दिन पहले बाजारों की रौनक देखने लायक है. कई शहर रोशनी से सराबोर नजर आ हैं
दिवाली के खास मौके पर राम की नगरी अयोध्या में भी खास तैयारियां की गई हैं. यहां होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है
मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी आयोध्या दीपोत्सव की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को सरयू के सभी घाट सातरंगों के बिजली बल्बों से जगमगा रहे हैं.
आयोजन को सफल बनाने में ढाई हजार बच्चे भगवान राम के जीवन पर आधारित चित्रकारी को अंतिम रूप दे रहे हैं, कोई भगवान राम को अपने तरीके से रूप दे रहा है तो कोई उनके शस्त्र धनुष और तीर बना रहा है.
दीपोत्सव को भगवान राम के रूपों को दिखाने के लिए हर कोशिश जारी है. किसी रथ पर दीपावली का स्लोगन है तो किसी पर भगवान राम रावण का संहार करते हुए दिख रहे हैं. कारीगर रथों को अंतिम रूप दे रहे हैं
अवध विश्वविद्यालय के स्वयंसेवियों ने निर्धारित अन्य 12 घाटों पर दीयों को सजाया है. उधर, साकेत महाविद्यालय में सजे 11 रथों पर भगवान श्रीराम से जुड़े 11 प्रसंगों को आधारित श्रीरामलीला कमेटियों की तैयारियां भी पूरी हैं. रथों पर हुई रोशनी की व्यवस्था लोगों का मन मोह रही है.